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ZEEL : सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका ने खटखटाया SAT का दरवाजा, सेबी के आदेश के खिलाफ राहत की अपील

SAT 15 जून को इस मामले की सुनवाई करेगा। प्रमोटर्स के वकील का कहना है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी ने आदेश जारी करने से पहले कारण बताओ नोटिस नहीं दिया। इसके साथ ही, सेबी ने प्रतिबंध लागू करने की तत्काल जरूरत का भी कोई संकेत नहीं दिया

अपडेटेड Jun 13, 2023 पर 4:03 PM
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Essel ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) के CEO पुनीत गोयनका ने सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) का दरवाजा खटखटाया है।

Essel ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) के CEO पुनीत गोयनका ने सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) का दरवाजा खटखटाया है। दोनों ने मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के ऑर्डर के खिलाफ SAT का रूख किया है। बता दें कि सेबी ने सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका पर किसी भी कंपनी में डायरेक्टोरियल या मैनेजमेंट में प्रमुख पदों पर रहने पर रोक लगाई है। अब सेबी की इस कार्रवाई से राहत पाने के लिए दोनों ने SAT का रूख किया है। चंद्रा और गोयनका पर जी एंटरटेनमेंट से कथित तौर पर धन की हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है।

प्रमोटर्स के वकील ने क्या कहा?

SAT 15 जून को इस मामले की सुनवाई करेगा। प्रमोटर्स के वकील का कहना है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी ने आदेश जारी करने से पहले कारण बताओ नोटिस नहीं दिया। इसके साथ ही, सेबी ने प्रतिबंध लागू करने की तत्काल जरूरत का भी कोई संकेत नहीं दिया। वकील ने आगे कहा कि सेबी के आदेश से शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई है।


क्या है पूरा मामला

सेबी की जांच में पता चला है कि चंद्रा और पुनीत गोयनका ने 2019 में जी एंटरटेनमेंट के डायरेक्टर के रूप में अपने फायदे के लिए धन की हेराफेरी करके अपने पद का दुरुपयोग किया। इस नतीजे पर पहुंचने के बाद सेबी ने अब दोनों पर यह कार्रवाई की है। सेबी ने आदेश में कहा है कि धन की हेराफेरी एक योजना के तहत की गई है। इसमें कहा गया है कि प्रशासन की खराब स्थिति के लिए ZEEL के अंदर कोई प्रक्रिया और संरचना नहीं थी।

इन्वेस्टिगेटर्स ने ZEEL के शेयरों की कीमत पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा FY19 से FY23 के दौरान ZEEL के शेयर की कीमत 600 रुपये से गिरकर 200 रुपये हो गई, जबकि इस दौरान कंपनी मुनाफे में थी। इसका मतलब है कि कंपनी में सब ठीक नहीं था। इन्वेस्टिगेटर्स ने आगे बताया कि इस अवधि के दौरान प्रमोटर शेयरहोल्डिंग 41.62 फीसदी से घटकर 3.99 फीसदी के वर्तमान स्तर पर आ गई।

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