जोमैटो ने अपनी 15 मिनट में फूड डिलीवरी सर्विस 'क्विक' को रोक दिया है। कंपनी ने इसे 4 महीने पहले ही शुरू किया था। खबर है कि जोमैटो ने क्विक को अपने मेन ऐप से चुपचाप हटा दिया है। जोमैटो एवरीडे के हिस्से के रूप में उपलब्ध सुविधा क्विक, को जोमैटो ऐप के लैंडिंग पेज पर काफी एडवर्टाइज किया गया था। लेकिन अब यह बेंगलुरु, गुरुग्राम, हैदराबाद, मुंबई और कई अन्य शहरों में उपलब्ध नहीं है। यह भी हो सकता है कि जोमैटो इस सुविधा को पूरी तरह से बंद न करके बाद में इसका दूसरा वर्जन जारी करे।
क्विक सर्विस दो किलोमीटर के दायरे में स्थित चुनिंदा रेस्टोरेंट से रेडी-टू-ईट डिशेज की पेशकश करती थी। हालांकि, यह विकल्प अब दिखाई नहीं दे रहा है। पहले यह सर्विस जोमैटो के एक्सप्लोर पेज पर एक डेडिकेटेड सेक्शन के रूप में दिखाई देती थी। मार्च के आसपास ऐप पर कुल ऑर्डर वॉल्यूम में जोमैटो क्विक का हिस्सा लगभग 8 प्रतिशत था।
इससे पहले जोमैटो इंस्टेंट सर्विस की थी लॉन्च
क्विक के जरिए यह जोमैटो का अपने मेन ऐप के तहत क्विक फूड डिलीवरी मार्केट में जगह बनाने का दूसरा प्रयास था। इससे पहले के प्रयास के तहत कंपनी ने 2022 में जोमैटो इंस्टेंट लॉन्च किया था और बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर में 10 मिनट में फूड डिलीवरी का वादा किया था। लेकिन जनवरी 2023 तक इस सर्विस को बंद कर दिया गया। बाद में इसे जोमैटो एवरीडे द्वारा रिप्लेस कर दिया गया। यह समान डिलीवरी टाइमलाइन वाली होम स्टाइल मील सर्विस थी। लेकिन एवरीडे टैब भी अब ऐप से गायब हो गया है।
जोमैटो के मेन ऐप पर अब क्विक फूड डिलीवरी के लिए ऑप्शन उपलब्ध नहीं है लेकिन इसने 'बिस्ट्रो बाय ब्लिंकइट' को लॉन्च किया है। यह एक अलग सर्विस है, जो ब्लिंकइट के डार्क स्टोर्स में बनीं फास्ट मूविंग, रेडी-टू-ईट डिशेज की पेशकश करती है। ऐप स्नैक्स, स्मॉल मील्स और बेकरी आइटम को बेहद जल्द पहुंचाने पर फोकस करता है।
जोमैटो का यह कदम ऐसे वक्त में सामने आया है, जब 15 मिनट में फूड डिलीवरी सेक्टर में नई एंट्रीज की बाढ़ सी आ गई है। जेप्टो अपने जेप्टो कैफे के साथ अपने स्टैंडअलोन ऐप के जरिए हर रोज 100,000 से ज्यादा ऑर्डर पूरे करती है। इसका मतलब है कि सालाना 10 करोड़ डॉलर का जीएमवी। इस बात का खुलासा कंपनी के सीईओ आदित पालिचा ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में किया था। दिसंबर में ब्लिंकइट ने बिस्ट्रो को लॉन्च किया, वहीं मैजिकपिन, बिगबास्केट, ओला, स्विश और जिंग जैसी अन्य कंपनियां भी फास्ट-फूड-ऑन-डिमांड पाई के हिस्से के लिए होड़ कर रहे हैं।