Silver Hallmark Rule: 1 सितंबर से चांदी पर हॉलमार्किंग लागू हो चुका है। कंज्यूमर की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए नियम लागू किए गए है। हॉलमार्किंग के तहत BIS का लोगो और शुद्धता मानक लिखना होगा। हॉलमार्किंग केंद्र का कोड नंबर ज्वेलरी पर देना होगा। हॉलमार्किंग से धोखाधड़ी कम होगी और भरोसा बढ़ेगा।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने चांदी की शुद्धता के लिए 6 नए स्टैंडर्ड 800, 835, 900, 925, 970 और 990 तय किए हैं। अब हर हॉलमार्क वाली ज्वेलरी पर एक 6 अंकों का यूनिक कोड (HUID) भी होगा। इस कोड से तुरंत पता चल जाएगा कि गहना किस शुद्धता का है और वह असली है या नहीं। यह सिस्टम पुराने हॉलमार्किंग तरीके की जगह लेगा और ज्यादा पारदर्शिता लाएगा।
चांदी पर हॉलमार्किंग का क्या असर देखने को मिलेगा इसपर बात करते हुए BIS की Scientist-G and Deputy Director General (Hallmarking) चित्रा गुप्ता ने कहा कि चांदी के जो ग्रेड स्टैंडर्ड में है उसपर हॉलमार्किंग। 9 KT की हॉलमार्किंग होगी। इस साल कुल 9 करोड़ आर्टिकल की हॉलमार्किंग हुई। वॉलेंटरी सिल्वर में हॉलमार्किंग की शुरुआत 2005 में हुई। चांदी पर 6 डिजिट अल्फा न्यूमरिक कोड होगा।
उन्होंने आगे कहा कि हॉलमार्किंग के प्रति जागरुकता बढ़ रही है। हर साल हॉलमार्किंग सिल्वर आर्टिकल में 2-4 फीसदी की बढ़त देखने को मिल रही है। फिलहाल वजन को लेकर गाइडलाइंस नहीं है।
चित्रा गुप्ता ने कहा कि पहली तिमाही में 17 लाख से ज्यादा की हॉलमार्किंग हुई है। फिलहाल वजन को लेकर गाइडलाइंस नहीं आया। सोना में 22 कैरेट की हॉलमार्किंग में करीब 80% भागीदारी रही। फिलहाल सिल्वर की हॉलमार्किंग के लिए देश में 230 सेंटर है।
बता दें कि हॉलमार्किंग का मतलब होता है मेटल की शुद्धता का प्रमाण। BIS की लैब में गहनों की टेस्टिंग के बाद उन पर निशान लगाया जाता है। इससे ग्राहक को भरोसा मिलता है कि जिस गहने के लिए वह पैसा दे रहा है, वह उतना ही शुद्ध है। बिना हॉलमार्क वाले गहनों में मिलावट की संभावना बनी रहती है। लेकिन अब HUID नंबर और हॉलमार्क से धोखाधड़ी की संभावना कम होगी।