Basmati Rice Exports: सरकार ने APEDA को नॉन-बासमती एक्सपोर्ट फीस का 30% रखने की मंजूरी दे दी है, लेकिन इससे बासमती चावल के एक्सपोर्टर्स खुश नजर नहीं आ रहे हैं। कॉमर्स मंत्रालय ने दी APEDA को मंजूरी दी है। सर्सिव और इंफ्रा चार्ज के रूप में 30% रखने की मंजूरी मिली है। वहीं बाकी 70 प्रतिशत रकम के उपयोग का निर्णय एक विशेष समिति (NBDF) करेगी। इस फैसले से बासमती चावल निर्यातक नाराज हैं।
सूत्रों के मुताबिक, डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स (DoC)ने जुलाई में "नॉन-बासमती राइस डेवलपमेंट फंड (NBDF)" के गठन को मंजूरी दी थी। यह फंड APEDA के चेयरमैन की अध्यक्षता में गठित पैनल द्वारा संचालित होगा, जिसमें 8 सदस्य होंगे, जिनमें 3 इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधि भी शामिल होगे।
सूत्रों के अनुसार हाल ही में इस फंड के संचालन की रूपरेखा को भी मंजूरी मिल गई है। APEDA ने संबंधित विभागों और राज्यों को चिट्ठी लिखी गई है जिसमें उन्हें अपने-अपने प्रतिनिधियों के नाम भेजने को कहा है ताकि दीपावली से पहले पैनल की पहली बैठक बुलाई जा सके।
सरकार के अनुसार, नॉन-बासमती निर्यात अनुबंध शुल्क से जुटाई गई 70 प्रतिशत राशि का उपयोग किसानों को “गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज (GAP)” और ऑर्गेनिक खेती के प्रशिक्षण, उत्पादकता बढ़ाने, अनुसंधान एवं विकास, निर्यात संवर्धन कार्यक्रमों, खरीदार-विक्रेता बैठकों और उपभोक्ता अध्ययन के लिए किया जाएगा। यह राशि एपीडा की देखरेख में नॉन-बासमती चावल के निर्यात और उत्पादन से जुड़ी संरचनात्मक गतिविधियों को मजबूत करने में भी खर्च की जाएगी।
बासमती चावल एक्सपोर्टर्स ने इसे लेकर नराजगी जताई है। उनका कहना है कि फीस पर सरकार की दोहरी नीति ठीक नहीं। यदि एपीडा को नॉन-बासमती के लिए 30 प्रतिशत हिस्सा “ सर्सिव और इंफ्रा चार्ज ” के रूप में रखा गया है, तो बासमती एक्सपोर्ट डेवलेपमेंट फंड (BEDF) से भी उसका हिस्सा 50 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत किया जाना चाहिए।