PM Aasha scheme : सरकार ने प्रधानमंत्री आशा स्कीम को जारी रखने और इसका दायरा बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि कैबिनेट ने 35,000 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली पीएम आशा (अन्नदाता आय संरक्षण अभियान) को मंजूरी दे दी है। पीएम आशा दलहन, तिलहन और अन्य आवश्यक कृषि-बागवानी वस्तुओं के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी। इसके तहत सभी दालों और तिलहन को MSP पर खरीदने की योजना है। इस पर एक्सक्लूसिव डिटेल देते हुए सीएनबीसी-आवाज के सहयोगी असीम मनचंदा ने पहले ही बताया था किसानों को बड़ी राहत देने की तैयारी है। देश को दालों और तिलहन में आत्म निर्भर बनने की तैयारी हो रही है।
बता दें कि इस स्कीम के तहत फसल के भाव MSP से नीचे जाने पर सरकार खरीदारी करती है। इस स्कीम के तहत सरकार दालों और तिलहन की खरीदारी करती है। हाल में ही सोयाबीन का दाम MSP से नीचे चला गया था। जिसके बाद सरकार ने 3 राज्यों में सोयाबीन खरीदने का फैसला लिया था। इस साल सरकार ने PM आशा का बजट 6,437 करोड़ रुपए रखा था। इसे अब बढ़ा दिया गया है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार दालों, तिलहन, कोपरा आदि के लिए 2018 से मूल्य समर्थन योजना चला रही है। इसके तहत एमएसपी से कम दाम होने से कीमत में अंतर का भुगतान किया जाता है। इस योजना की बदौलत दालों का बफर स्टॉक कुछ लाख टन से बढ़कर 20 लाख टन हो गया है। बता दें कि कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले भी कई बार कह चुके हैं कि सभी राज्यों से अरहर, उड़द और मसूर की 100 फीसदी खरीद एमएसपी पर करने का सरकार का संकल्प है।
गौरतलब है कि पीएम-आशा या प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की घोषणा सितंबर 2018 में की गई थी। इसता उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दलहन, तिलहन आदि उगाने वाले किसानों को हर साल उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले। न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी भारत सरकार द्वारा कृषि उत्पादकों को कृषि मूल्य में किसी भी तेज गिरावट के खिलाफ सुरक्षा देने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने का एक तरीका है। न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार की ओर से किसानों की उपज के लिए एक गारंटी मूल्य है।