अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद जबसे ट्रंप चुने गए हैं। तब से COMEX पर सोना का स्टॉक 2 गुना हो गया है। बाजार उम्मीद कर रहा है कि फरवरी खत्म होते- होते इसमें 100 टन सोना और जुड़ जाएगा। वहीं WORLD GOLD COUNCIL की रिपोर्ट भी बता रही है कि ग्लोबल सेंट्रल बैंक जमकर सोने की खरीदारी कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अखिर इतनी बड़ी मात्रा में सोने की खरीद के क्या कारण हैं। बाजार इसे कैसे देखता है और भारत पर इसका क्या असर होगा?
ग्लोबल सेंट्रल बैंक सोना जमकर खरीद रहे हैं। ग्लोबल सेंट्रल बैंक 2010-21 के बीच औसतन 481 टन की खरीद है। अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने सोने की खरीद बढ़ाई है। US के पास करीब 8200 मीट्रिक टन सोना है। चीन और भारत ने भी सोने की खरीद बढ़ाई है।
US में सोने का स्पॉट भाव 12 महीने में 40% बढ़ा है जबकि भारत में सोने की कीमतों में इंटरनेशनल मार्केट की तुलना में 24 डॉलर का डिस्काउंट देखने को मिला है।
IBJA सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता का कहना है कि यूरोप मार्केट में सोने में 5-10 फीसदी का डिस्काउंट मिल रहा है। अमेरिका में 632 टन सोना शिफ्ट किया गया है। वहीं बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास 2500 टन सोना है। अमेरिका में गोल्ड में प्रीमियम मिल रहा है।
कामाख्या ज्वेल्स के एमडी मनोज झा का कहना है कि अमेरिका में सोने की डिमांड बढ़ी है। भारत में सोने की रिटेल खरीदारी कम है। भारत में सोने में इंवेस्टमेंट खरीदारी है। सेंट्रल बैंक सोने की खरीदारी कर रहे है। सभी बैंकों के पास सोना नहीं है।
नहीं घटेंगे क्रूड के दाम?
वहीं दूसरी तरफ OPEC+ देश अप्रैल से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने वाले थे लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वो ऐसा नहीं करने वाले हैं। ये खबर तब आ रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप क्रूड की कीमतों में कटौती के लिए उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। पहले अप्रैल से उत्पादन बढ़ाने की बात हुई थी। बाजार की ट्रंप की नीतियों पर नजर बनी हुई है।
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा का कहना है कि क्रूड के दाम $70/ बैरल के आसपास जा सकते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप क्रूड के दाम $60/ बैरल चाहते हैं । अमेरिका और रूस के बीच बातचीत चल रही है। सऊदी अरब में यूक्रेन युद्ध को लेकर बातचीत जारी है। OPEC को आउटकम आने का इंतजार है।
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