Dry Fruit Demand In Festival:त्योहारी की शुरुआत और मिठाईयों का साथ ...... ये कोई खास बात नहीं है। फेस्टिव मूड़ शुरु होते ही मिठाई, मेवों, ड्राई फ्रूट्स से बाजार सज जाते है और ड्राई फ्रूट्स एक ऐसा सेगमेंट है जिसने भारतीय बाजारों में अपनी मजबूत जगह बना ली है। शुरुआत में पहले नॉर्थ इंडिया में ड्राई फ्रूट्स की डिमांड ज्यादा होती थी लेकिन अब देश में ड्राई फ्रूट्स की खरीदारी होती है। हेल्दी और स्नेकिंग ऑप्शन के तौर पर तो देखा ही जाता है लेकिन त्योहारों के सीजन में ड्राई फ्रूट्स की मांग सबसे ज्यादा हो रही है। भारत में ड्राई फ्रूट्स की मांग बढ़ रही है। 2023 में भारत की खपत 25% बढ़ी है। लोगों की आय बढ़ने के साथ ही मांग में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। 8% से ज्यादा की दर से ड्राई फ्रूट्स का बाजार बढ़ रहा है । एग्जॉटिक ड्राई फ्रूट्स की मांग में इजाफा देखने को मिल रहा है।
दरअसल, लोगों में सेहत के प्रति जागरुकता बढ़ी है। लोगों के खान-पान के व्यवहार में बदलाव आया है। ड्राई फ्रूट्स की रिटेल स्टोर्स तक पहुंच बढ़ी है। नए फ्लेवर वाले प्रोडक्ट बाजार में मौजूद है।
भारत के ड्राई फ्रूट्स बाजार पर नजर डालें तो भारत की ऑर्गेनिक खेती में 40 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि अन-ऑर्गेनिक खेती में 60 फीसदी हिस्सेदारी है। नॉर्थ इंडिया में ड्राई फ्रूट्स 35 फीसदी, वेस्ट इंडिया में 25 फीसदी, साउथ इंडिया में 20 फीसदी और ईस्ट इंडिया में 20 फीसदी हिस्सेदारी है।
सबसे ज्यादा काजू का इंपोर्ट
देश में सबसे ज्यादा काजू का इंपोर्ट होता है। कुल इंपोर्ट में काजू की करीब 50% हिस्सेदारी है। 2024 में काजू का $2.40 बिलियन का बाजार रहा है जबकि 2029 तक काजू का बाजार $2.90 बिलियन तक रहने का अनुमान है। काजू का बाजार सालाना करीब 4% की दर से बढ़ रहा है।
भारत का ड्राई फ्रूट्स इंपोर्ट
2023 में $25 बिलियन का ग्लोबल इंपोर्ट रहा है जबकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा ड्राई फ्रूट्स इंपोर्टर है। 2023 में $2.85 बिलियन का ड्राई फ्रूट्स इंपोर्ट हुआ । ग्लोबल इंपोर्ट भारत की 11.2% की हिस्सेदारी है। भारत में अमेरिका से सबसे ज्यादा इंपोर्ट होगा। अमेरिका से इंपोर्ट की 35% हिस्सेदारी है। 2023 में US से $1 बिलियन का इंपोर्ट हुआ।
आगे कैसा रहेगा ड्राई फ्रूट्स का बाजार
आगे ड्राई फ्रूट्स की कैसी मांग रह सकती है? इस पर बात करते हुए AICA प्रेसिडेंट राहुल कामथ ने कहा कि भारत में काजू का 40% मार्केट है और यहां काजू की डिमांड काफी ज्यादा है। पिछले साल से 20-25% ज्यादा दाम बढ़ गए हैं।
कमोडिटी ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन के एमडी राजीव पबरेजा ने कहा कि फेस्टिव सीजन में ड्राई फ्रूट्स की डिमांड बढ़ जाती है। ग्लोबली ड्राई फ्रूट्स की डिमांड बढ़ी है। फेस्टिव सीजन में ड्राई फ्रूट्स की डिमांड बढ़ जाती है। ड्राई फ्रूट्स की क्वालिटी पर ध्यान पड़ता है। ऐसे में अगर ड्राई फ्रूट्स का प्रोडक्शन बढ़ेगा तो दाम कम हो जाएंगे।
प्रोवेंटस एग्रोकॉम के को-फाउंडर, दीपक कुमार अग्रवाल ने कहा कि फेस्टिव सीजन में ड्राई फ्रूट्स की डिमांड अच्छी है और ड्राई फ्रूट्स की सप्लाई भी अच्छी आ रही है। ड्राई फ्रूट्स के दाम महंगे नहीं हैं। मिठाइयों में ड्राई फ्रूट्स का ज्यादा यूज हो रहा है। हेल्थ के लिए ड्राई फ्रूट्स अच्छे है। पिछले 5 साल में बादाम की डिमांड स्थिर रही है। दिवाली पर गिफ्टिंग के लिए बादाम की डिमांड ज्यादा होती है। स्नैकिंग स्पेस में बादाम की हिस्सेदारी है। इंडिया के टॉप 3 इंपोर्ट- काजू, बादाम, वॉलनट है । काजू, बादाम, वॉलनट की 80-85 % इंपोर्ट करते हैं।
NDFC(I) के प्रेसिडेंट गुंजन जैन का कहना है कि ड्राई फ्रूट्स में ग्रोथ अच्छी है। कोविड के बाद से अच्छी ग्रोथ ड्राई फ्रूट्स का मार्केट 15% से हर साल बढ़ेगा। ड्राई फ्रूट्स की डिमांड बढ़ेगी। वॉलनट की ड्यूटी 100% है। सरकार से प्रोत्साहन की जरूरत है।