2025 में तांबे (कॉपर) की कीमतों में जबरदस्त उतार-चढ़ाव और तेजी देखने को मिल रही है। जुलाई 2025 की शुरुआत में भारत में तांबे की कीमत लगभग ₹893 प्रति किलोग्राम दर्ज की गई है, हालांकि इसमें हाल ही में 1.39% की हल्की गिरावट भी आई है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में 8 जुलाई 2025 को कॉपर की कीमत 4.98 अमेरिकी डॉलर प्रति पाउंड तक पहुंच गई, जो पिछले महीने की तुलना में लगभग 2% और सालभर में करीब 9% बढ़ी है।
तांबे की कीमतों में क्यों आई तेजी
इलेक्ट्रिक वाहनों, रिन्यूएबल एनर्जी और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में कॉपर की मांग लगातार बढ़ रही है। वहीं, कुछ प्रमुख उत्पादक देशों में सप्लाई बाधित होने से कीमतों में उछाल आ रहा है।
विश्व अर्थव्यवस्था का असर
जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, तो कॉपर की खपत बढ़ती है और कीमतें ऊपर जाती हैं। वहीं, आर्थिक सुस्ती या मंदी में कीमतों पर दबाव आता है।
कॉपर के उत्पादन में लगने वाली लागत, टैक्स और अन्य शुल्क भी कीमत को प्रभावित करते हैं। भारत में टैक्स और ड्यूटी के कारण भी कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।
चीन दुनिया का सबसे बड़ा कॉपर उपभोक्ता है। चीनी बाजार में मांग या नीतिगत बदलाव से वैश्विक कीमतों पर सीधा असर पड़ता है।
MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर 8 जुलाई 2025 को कॉपर की कीमत 892 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास रही। पिछले कुछ हफ्तों में भी तांबे की कीमतें लगभग स्थिर या हल्की तेजी के साथ कारोबार कर रही हैं।
तांबा न सिर्फ औद्योगिक मांग के कारण बल्कि निवेश के नजरिए से भी आकर्षक है। विशेषज्ञ मानते हैं कि कॉपर में निवेश करने से अच्छा रिटर्न मिल सकता है, लेकिन निवेश से पहले बाजार के ट्रेंड, वैश्विक मांग, सप्लाई और अपने वित्तीय लक्ष्य का विश्लेषण जरूरी है।
कीमतों में तेजी के बावजूद, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे तांबे में निवेश से पहले मौजूदा बाजार भाव, डिमांड-सप्लाई की स्थिति और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर ध्यान दें। छोटी-छोटी किस्तों में निवेश करना जोखिम कम करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।