Currency Check: शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे बढ़कर 86.26 पर पहुंचा

Currency Check: घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख के चलते मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपया सीमित दायरे में कारोबार करते हुए 5 पैसे बढ़कर 86.26 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया

अपडेटेड Jul 22, 2025 पर 10:47 AM
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भंसाली ने आगे कहा कि "डॉलर के लिए FPI बिल्ड मजबूत हैं, जबकि ऊपरी स्तर पर आरबीआई रुपये की रक्षा के लिए डॉलर बेच रहा है।"

Currency Check:  घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख के चलते मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपया सीमित दायरे में कारोबार करते हुए 5 पैसे बढ़कर 86.26 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि वैश्विक स्तर पर टैरिफ की अंतिम स्थिति पर अनिश्चितता विदेशी मुद्रा बाजार के लिए एक बड़ा संकट बनी हुई है, जिससे मुद्राओं का कारोबार सीमित दायरे में हो रहा है।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में घरेलू मुद्रा डॉलर के मुकाबले 86.26 पर खुला जो पिछले बंद भाव से 5 पैसे की बढ़त दर्शाता है। शुरुआती कारोबार में यह अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 86.29 के स्तर को भी छू गया।

सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 15 पैसे की गिरावट के साथ 86.31 पर बंद हुआ।


इस बीच 6 करेंसी के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 0.03 फीसदी बढ़कर 97.88 पर पहुंच गया। इस बीच निवेशक की नजर 1 अगस्त की समय सीमा नजदीक आ रही है। 1 अगस्त से पहले ज्यादा टैरिफ लेटर जारी होने की उम्मीद है। व्हाइट हाउस ने कहा ट्रंप ज्यादा टैरिफ लेटर जारी कर सकते है। इधर 30 साल की US बॉन्ड यील्ड 5% के ऊपर बरकरार किया।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, "अमेरिका-यूरोपीय संघ के बीच बढ़ते व्यापार संघर्ष के संकेतों के कारण एशियाई व्यापार में ब्रेंट तेल की कीमतों में गिरावट आई। व्यापार समझौते पर गतिरोध आर्थिक गतिविधियों और इस प्रकार तेल की मांग को भी प्रभावित कर सकता है।"

भंसाली ने आगे कहा कि "डॉलर के लिए FPI बिल्ड मजबूत हैं, जबकि ऊपरी स्तर पर आरबीआई रुपये की रक्षा के लिए डॉलर बेच रहा है।" विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि अब सभी की निगाहें भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के परिणाम पर हैं, खासकर जब भारतीय निर्यात पर संभावित टैरिफ के लिए 1 अगस्त की समय सीमा नजदीक आ रही है। यदि चर्चा विफल हो जाती है या इसमें देरी होती है, तो भारतीय निर्यातकों को नए दबाव का सामना करना पड़ सकता है - जिससे रुपये की चुनौतियां बढ़ जाएंगी।

हालाँकि अगर कोई समझौता हो जाता है, तो यह एक बहुत ज़रूरी राहत हो सकती है। तब तक, अनिश्चितता के कारण बाज़ार सहभागियों के सतर्क रहने की संभावना है।

एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अगले दौर की वार्ता के लिए अमेरिकी टीम अगस्त में भारत का दौरा करेगी। भारत और अमेरिकी टीमों ने पिछले सप्ताह वाशिंगटन में समझौते के लिए पांचवें दौर की वार्ता पूरी की।

MoneyControl News

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First Published: Jul 22, 2025 10:46 AM

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