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Currency Check: डॉलर के मुकाबले रुपया हुआ मजबूत, इन कारणों से आई तेजी, 85.75-86.25 दायरे में रहने की उम्मीद

Currency Check: वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में सफलता की उम्मीद के बीच गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे बढ़कर 85.80 पर पहुंच गया

अपडेटेड Jul 17, 2025 पर 10:35 AM
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अनिल कुमार भंसाली ने कहा, बुधवार को डॉलर इंडेक्स में तेजी के कारण रुपया उतार-चढ़ाव भरे रुख के साथ 86.06 से 85.73 पर पहुंचा

Currency Check: वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में सफलता की उम्मीद के बीच गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे बढ़कर 85.80 पर पहुंच गया। हालांकि, विदेशी मुद्रा व्यापारियों के अनुसार, विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती और एफआईआई के बहिर्वाह ने स्थानीय मुद्रा में तीव्र बढ़त को रोक दिया।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.93 पर कमजोर खुला, लेकिन बाद में सकारात्मक दायरे में आते हुए 85.80 पर पहुंच गया, जो पिछले बंद भाव से 12 पैसे अधिक है।

बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 16 पैसे गिरकर 85.92 पर बंद हुआ था।


प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर एक और दौर की बातचीत के लिए भारतीय वाणिज्य मंत्रालय का एक दल वाशिंगटन में है। सोमवार से शुरू हुई चार दिवसीय वार्ता गुरुवार को समाप्त होगी।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता उसी तर्ज पर होगा जैसा अमेरिका ने मंगलवार को इंडोनेशिया के साथ अंतिम रूप दिया है।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, बुधवार को डॉलर इंडेक्स में तेजी के कारण रुपया उतार-चढ़ाव भरे रुख के साथ 86.06 से 85.73 पर पहुंचा और फिर 85.92 पर बंद हुआ। आज (गुरुवार) रुपया 85.75/86.25 के दायरे में रहने की उम्मीद है, क्योंकि आरबीआई इस मुद्रा जोड़ी को 86.00 के स्तर के पास रोक रहा है।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.36 फीसदी की गिरावट के साथ 68.46 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

अनिल कुमार भंसाली ने कहा, अमेरिकी आंकड़ों में कच्चे तेल के भंडार में अपेक्षा से अधिक गिरावट आने के बाद ब्रेंट तेल की कीमतों में तेजी आई, जिससे आपूर्ति में कमी का संकेत मिलता है, जबकि निवेशक 150 देशों पर संभावित अमेरिकी टैरिफ घोषणाओं से पहले सतर्क रहे, जो उनके जारी एजेंडे का हिस्सा है, जिससे वैश्विक स्तर पर आयात शुल्क बढ़ाने से बचने के प्रयास तेज हो गए हैं।

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