Popcorns के बाद GST 2.0 का विवाद इसबगोल तक पहुंच गया है। इंडस्ट्री ने किसानों से बीज की खरीद बंद कर दी है। इंडस्ट्री ने टैक्स व्यवस्था में ‘अस्पष्टता’ को लेकर उबलते उद्योग ने सरकार को चेतावनी दी थी । इंडस्ट्री का आरोप है कि बीजों पर जीएसटी देना उनकी पूंजी को सालभर से ज्यादा समय तक फंसा देता है। इंडस्ट्री ने बीजों को GST से छूट न मिलने तक खरीद बंद की है।
बीजों पर GST देने से पूंजी फंसती है। इंडस्ट्री ने सरकार से नकदी दबाव कम करने के लिए ईसबगोल के बीज पर जीएसटी समाप्त करने का आग्रह किया है।
बता दें कि भारत सालाना 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की ईसबगोल भूसी का निर्यात करता है, जिसमें से लगभग 60-70% निर्यात अमेरिका को होता है। निर्यातकों का कहना है कि मौजूदा जीएसटी समस्याओं, वैश्विक ऑर्डरों में मंदी और ट्रंप प्रशासन के दौरान लागू टैरिफ बाधाओं के कारण इसके बाजार को काफी प्रभावित किया है।
भारत में इसबगोल की पैदावार में राजस्थान का 70 फीसदी योगदान है, जबकि गुजरात देश की कुल पैदावार का 70 फीसदी प्रोसेसिंग करता है। गुजरात का उंझा शहर देश का सबसे बड़ा व्यापार केंद्र है, जहां कुल इसबगोल व्यापार का 80 फीसदी हिस्सा खपता है।
ऑल इंडिया इसबगोल प्रोसेसर्स एसोसिएशन (IPA) ने सरकार के सामने मांग रखी है कि इसबगोल के बीजों को GST से पूरी तरह छूट दी जाए। बीजों पर प्रोसेसरों को 5% GST देना पड़ता है। टैक्स की ये रकम रिफंड के तौर पर तुरंत वापस नहीं मिलती। वर्किंग कैपिटल सालभर से ज्यादा समय तक बंधी रहती है। ताजे इसबगोल पर कोई GST नहीं है, लेकिन सूखे इसबगोल पर 5% GST लगता है। भारत सालाना 3500 करोड़ रुपये से ज्यादा का सालाना एक्सपोर्ट करता है। अमेरिका इसबगोल का सबसे बड़ा खरीदार है।
IPA के सेक्रेटरी राकेश पटेल ने कहा कि ईसबगोल उद्योग GST clarity का इंतज़ार कर रहा है। जब तक हमें वह नहीं मिल जाती, हमने किसानों से बीज ख़रीदना रोक दिया है। हमने बातचीत करने की कोशिश की है, लेकिन अब यही एकमात्र रास्ता है।