Maize Control Order: किसान सरकार से मक्के पर कंट्रोल ऑर्डर लाने की मांग कर रहे हैं। ताकि इथेनॉल डिस्टिलरीज को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मक्का खरीदने के लिए मजबूर किया जा सके। दलील दी जा रही है कि इससे कंपनियां उनसे एथेनॉल बनाने के लिए खरीद करने के लिए बाध्य हो जाएंगी।
मक्का किसानों और रूपांतरण उद्योगों (डिस्टिलरी) के साथ किए जा रहे व्यवहार में सरकारी नीति में पक्षपात का आरोप लगाते हुए किसानों का कहना है कि जब सरकार तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के माध्यम से गारंटीकृत मूल्य पर उपज (इथेनॉल) खरीद रही है, तो उसे कच्चे माल की कीमत भी निर्धारित करनी चाहिए।
किसानों का कहना है कि OMCs के जरिए डिस्टिलरी से 71.86 रुपये/लीटर पर एथेनॉल खरीद रही है। जबकि मंडियों में उपलब्ध औसत मक्का भाव (1821 रुपये/क्विंटल) के आधार पर एथेनॉल का मूल्य 54 रुपये/लीटर होना चाहिए। किसानों ने आरोप लगाया कि लाभ किसानों को देने का वादा तो किया गया, लेकिन फायदा डिस्टिलरी को मिला और किसान MSP से बहुत नीचे मक्का बेचने को मजबूर हैं।
किसानों ने कहा कि 2014 में सरकार ने दावा किया था कि एथेनॉल मिश्रण बढ़ने से किसान “ऊर्जा उत्पादक” बनेंगे और उनकी आय दोगुनी होगी। लेकिन 10 साल बाद भी किसानों को मक्का पर MSP नहीं मिल पा रहा है। जबकि एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य 2030 के बजाय 2025 में ही हासिल कर लिया गया।
किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि मिलों को कानूनी रूप से FRP पर गन्ना खरीदना अनिवार्य है। जबकि मक्का किसानों के लिए MSP लागू करवाने की कोई कानूनी व्यवस्था नहीं। किसानों ने सुझाव दिया यदि मक्का को आवश्यक वस्तु घोषित कर Control Order लागू हो, तो डिस्टिलरी बाध्य होंगी कि MSP पर ही खरीद करें। इससे बाजार में भी स्वतः सुधार होगा जैसा कि साल 2025 की गेहूं खरीद में देखा गया।
ऐसे में सवाल है कि क्या ऐसा हो सकता है और अगर कंट्रोल ऑर्डर आया तो इससे किसानों को कितना फायदा होगा। इन्हीं सवालों का जबाव और खबरों पर अपनी राय देते हुए बिरदीचंद अमरचंद के ट्रेडिंग पार्टनर, लाहोटी ब्रिजेश लाहोटी ने कहा कि मक्के पर कंट्रोल ऑर्डर आता हुआ नहीं दिखाई देता है। मक्के की बुआई 12% और उत्पादन 20% बढ़ा है। पिछले साल कैरी फॉरवर्ड स्टॉक 2.5 करोड़ बोरों का है MSP ₹2400 रुपये प्रति क्विंटल है लेकिन बेस्ट क्वालिटी का भाव `1900 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम है।
मक्के के दाम लगातार गिर रहे है और मक्के की कीमतों में तेजी आने की उम्मीद नहीं है। दाम गिरने से किसानों को नुकसान हो रहा है। उत्पादन बढ़ने से कीमतों में दबाव देखने को मिल रहा है । उन्होंने आगे कहा कि स्टॉकिस्ट, सरकार, एथेनॉल के लिए खरीद कमजोर ही दिखाई देती है।