Edible Oil : 21 नवंबर 2025 तक भारत में तिलहन की बुवाई पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 4% बढ़कर 76.64 लाख हेक्टेयर को पार कर गई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 24 नवंबर 2025 को जारी रबी फसलों की बुवाई की प्रगति रिपोर्ट में दी गई। 21 नवंबर 2024-25 रबी सीजन में 72.69 लाख हेक्टेयर में तिलहन की बुआई हुई।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक 21 नवंबर तक सरसों की बुआई 73.80 लाख हेक्टेयर में हुई। जबकि मूंगफली की बुआई 1.12 लाख हेक्टेयर, सनफ्लावर की बुआई 0.16 लाख हेक्टेयर , अन्य फसलों की बुआई 1.56 लाख हेक्टेयर में हुई है।
IVPA के प्रेसिडेंट सुधाकर देसाई ने कहा कि देश में 2 साल पहले खाने के तेल का ज्यादा इंपोर्ट होता था, लेकिन 2 सालों से इंपोर्ट में 7 फीसदी की गिरावट आई है। इंपोर्ट का कम या ज्यादा होना कीमत पर निर्भर करता है। सोया का इंपोर्ट 5.5 मिलियन टन रहा है। 30 लाख टन सनफ्लायवर का इंपोर्ट हुआ।
उन्होंने कहा कि दाम ज्यादा होने से पाम ऑयल का इंपोर्ट घटा है। थाइलैंड पाम ऑयल का एक्सपोर्टर बन कर उभरा है। इसी तरह से सोयाबीन ऑयल का इंपोर्ट कई नए देश भी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वक्त के साथ-साथ देश में खाने के तेल की खपत घटी है। त्योहारों में एफएमसीजी प्रोडक्ट की खपत 25 फीसदी तक बढ़ी थी। ग्लोबल फैक्टर्स का असर भी खाने के तेल पर पड़ता है। खाने के तेल में जीएसटी कटौती का कोई फर्क नहीं पड़ा। ई-कॉमर्स के कारण पैकेज ऑयल की मांग बढ़ी है।
देश में सरसों की मांग बढ़ रही है। वहीं पाम ऑयल का उत्पादन भी बढ़ रहा है। सरसों में कोल्ड प्रेस्ड ऑयल की मांग बढ़ रही है। ग्लोबल खाने तेल का 25-30 फीसदी बायोडीजल में डायवर्ट हो रहा है। जनवरी- मार्च से तिमाही में खाने के तेल के सेगमेंट में अच्छी रह सकती है