सरकार दालों की कुछ किस्मों के इंपोर्ट पर ड्यूटी बढ़ा सकती है। सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक कीमतों में लागातार जारी गिरावट को देखते हुए सरकार ये फैसला ले सकती है। प्रमुख किस्मों के इंपोर्ट पर ड्यूटी लगा सकती है। तुअर, उड़द, मसूर, चना पर पर ड्यूटी संभव है।दालों के भाव MSP के नीचे बने हुए हैं। बीते 7 महीनों से दालों की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में सरकार अब आयातित दालों पर शुल्क लगाने पर विचार कर रही है ताकि घरेलू कीमतें स्थिर रहें और किसान घाटे में न जाएं।
व्यापारियों का कहना है कि सस्ती आयात के कारण घरेलू दालों की कीमतें प्रभावित हो रही हैं और इससे किसानों की बुवाई पर असर पड़ सकता है।
अभी पीली मटर, अरहर और उरद का ड्यूटी-फ्री आयात चल रहा है, जबकि बंगाल ग्राम और मसूर पर 10 फीसदी शुल्क लागू है। लेकिन व्यापारियों और किसानों का कहना है कि बिना शुल्क के घरेलू दालों की कीमतें प्रभावित होंगी और किसान कम बुवाई करेंगे।
बता दें कि कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में चिंता जताई थी कि पीली मटर का ड्यूटी-फ्री आयात चना की कीमत बिगाड़ रहा है। पीली मटर स्नैक इंडस्ट्री में चने का सस्ता विकल्प बन चुकी है। उन्होंने इस पर 50% शुल्क पुनः लगाने की सिफारिश की है, जो दिसंबर 2023 से पहले लागू था।
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) का मानना है कि आयात शुल्क को MSP के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। इससे किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेगा और वे दाल की खेती के लिए अधिक क्षेत्र तैयार करेंगे। आयोग ने पीली मटर पर प्रतिबंध और अरहर, मसूर, उरद जैसी दालों पर आयात शुल्क बढ़ाने की सिफारिश की है।
इस खबर पर बात करते हुए AFTA के जनरल सेक्रेटरी सुनील बलदेवा ने कहा कि बाजार में इस तरह की खबरें है,लेकिन हमें फैसले का इंतजार है। दीवाली के बाद सरकार का फैसला आ सकता है। इंपोर्ट डयूटी पर सरकार के फैसले का इंतजार है। 2025 में देश में दालों का रिकॉर्ड इंपोर्ट हुआ।
सुनील बलदेवा ने आगे कहा कि 2026 में और ज्यादा दालों के इंपोर्ट की उम्मीद है। भारत दालों का सबसे ज्यादा इंपोर्ट करता है। भारत को सबसे बड़े इंपोर्टर होने का फायदा उठाना चाहिए। ड्यूटी लगी तो दालों की कीमतों में तेजी आ सकती है।