देश के अंदर शुक्रवार को सोने की कीमतों में गिरावट है। वैश्विक बाजारों की बात करें तो ये लगभग फ्लैट लेवल हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, न्यूयॉर्क में हाजिर सोने का भाव 3,859.69 डॉलर प्रति औंस पर स्थिर रहा। गुरुवार को कीमत ने 3896.49 डॉलर का रिकॉर्ड हाई देखा था। वायदा कारोबार में दिसंबर डिलीवरी वाला यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 0.4 प्रतिशत बढ़कर 3,883 डॉलर पर पहुंच गया है। इस हफ्ते सोने की ग्लोबल कीमतों में 2.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद, अमेरिकी सरकार के कामकाज ठप होने और कमजोर डॉलर ने सोने की इंटरनेशनल खरीद को बढ़ावा दिया। अमेरिका से कमजोर श्रम आंकड़ों ने फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों को बल दिया। अमेरिकी सीनेट मंगलवार (30 सितंबर) को फंडिंग एक्सटेंशन को पास करने में विफल रही, जिससे फेडरल शटडाउन की आशंका बढ़ गई है।
सोने की घरेलू कीमतों को भारत के अंदर फेस्टिव डिमांड, घरेलू शेयर बाजारों की निराशा जैसे डोमेस्टिक फैक्टर्स ने बूस्ट दिया। इन सब कारणों से सेफ एसेट के तौर पर सोने की डिमांड और बढ़ी।
2 फैक्टर्स से गोल्ड को अभी भी अच्छा सपोर्ट
केसीएम ट्रेड के चीफ मार्केट एनालिस्ट टिम वाटरर का कहना है कि डॉलर में तेजी से सोने की खरीद को थोड़ा झटका लगा है। लेकिन अमेरिकी सरकार के शट डाउन को लेकर अनिश्चितता और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों से सोने को अच्छा सपोर्ट मिल रहा है। अमेरिका में शट डाउन अपने दूसरे दिन में है। इसकी वजह से अमेरिकी नॉन-फार्म पेरोल रिपोर्ट सहित प्रमुख आर्थिक आंकड़ों के जारी होने में देरी हो रही है।
मेहता इक्विटीज में कमोडिटीज के वाइस प्रेसिडेंट राहुल कलंत्री कहते हैं कि अमेरिकी रोजगार आंकड़ों से गोल्ड में मुनाफावसूली हुई और कीमत रिकॉर्ड हाई से नीचे आ चुकी हैं। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी सेंटिमेंट को प्रभावित किया। ब्रॉडर फंडामेंटल्स के बरकरार रहने के कारण सोने का लॉन्ग टर्म आउटलुक पॉजिटिव बना हुआ है।
एस्पेक्ट बुलियन एंड रिफाइनरी के सीईओ दर्शन देसाई का कहना है कि अमेरिकी शटडाउन को लेकर अनिश्चितता और फेडरल रिजर्व की पॉलिसी को लेकर अनुमान निगेटिव दबाव को सीमित कर सकते हैं। निवेशक सोने से आंशिक मुनाफा कमाने पर विचार कर सकते हैं, लेकिन किसी भी करेक्शन पर इसमें दोबारा निवेश करने पर भी विचार कर सकते हैं।