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दाल रिटेलर्स को सरकार का आदेश, क्या कीमतों में आएगी गिरावट, जानें क्यों गेहूं के फसलों पर आई परेशानी

सरकार ने दाल के रिटेलर्स को कीमतों में कटौती करने के लिए कहा है। सरकार का कहना है कि होलसेल कीमतों में गिरावट का फायदा लोगों को मिलना चाहिए। सरकार का रिटेल दुकानदारों को दाल के भावों में कटौती का आदेश दिया है

अपडेटेड Feb 10, 2025 पर 3:47 PM
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सूत्रों के मुताबिक होलसेल मंडियों में तुअर, मसूर, चना, मूंग के होलसेल दाम गिरे है। इन दालों के भावों में 5-20% तक गिरावट आई है।

सरकार ने दाल के रिटेलर्स को कीमतों में कटौती करने के लिए कहा है। सरकार का कहना है कि होलसेल कीमतों में गिरावट का फायदा लोगों को मिलना चाहिए। सरकार का रिटेल दुकानदारों को दाल के भावों में कटौती का आदेश दिया है। सरकार ने दुकानदारों को होलसेल के मुताबिक भाव रखने का आदेश दिया है। गिरावट का फायदा ग्राहकों को देने का आदेश दिया है।

सूत्रों के मुताबिक होलसेल मंडियों में तुअर, मसूर, चना, मूंग के होलसेल दाम गिरे है। इन दालों के भावों में 5-20% तक गिरावट आई है। सूत्रों के मुताबिक उड़द, पीली मटर के होलसेल दाम गिरे है। मंडियों में दालों के दाम MSP के करीब पहुंचे है।

2024-25 के लिए दालों की MSP पर नजर डालें तो तुआर के दाम 7550 रुपये प्रति क्विंटल पर है जबकि मूंग दाल की एमएसपी 8682 रुपये प्रति क्विंटल और उड़द के दाल 7400 रुपये प्रति क्विंटल पर है।


एग्री कमोडिटी एक्सपर्ट सुमित गुप्ता का कहना है कि रिटेल भाव अभी तक नीचे नहीं आए है। तुअर के दाम $1400 से घटकर $800-900 हुए है। 40-45% होलसेल दाम नीचे आ गए हैं। किसान के भाव भी MSP से नीचे पहुंचे है। तेजी और मंदी दोनों स्थिति में रिटेल के भाव ऊपर जाते हैं। उन्होंने कहा कि पाइपलाइन में दालों का स्टॉक ज्यादा है। पिछले साल उत्पादन कम होने के कारण तुअर में तेजी आई। तुअर, चना दाल के भाव फरवरी-मार्च में गिर सकते हैं ।

दिल्ली में तापमान 27 डिग्री के पार पहुंचा, गेहूं के प्रोडक्शन पर असर संभव

इस बीच कमोडिटी से एक और अहम खबर है। आने वाले दिनों में गर्मी का सितम बढ़ने वाला है। जनवरी इतिहास का सबसे गर्म महीना रहा और फरवरी भी अभी से लोगों के पसीने छुड़ा रहा है। कई राज्यों में तापमान अभी से 30 डिग्री से ऊपर पहुंच गया है। इसका गेहूं की फसल पर पड़ेगा।

जनवरी में बारिश की मात्रा में 80 फीसदी तक की कमी आई है। तापमान सामान्य से 6 डिग्री तक ज्यादा दर्ज किया गया है। जनवरी के दौरान ठंड नहीं होने की वजह से गेहूं की फसल पर असर संभव है। पारा चढ़ने का असर गेहूं की फसल पर संभव है गेहूं के प्रोडक्शन में कमी आ सकती है। बता दें कि गेहूं की फसल के लिए 15 डिग्री का तापमान होना जरूरी है।

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