जीरे की कीमतों में आए उछाल से किसान हुए मालामाल

जीरे की खेती करने वाले एक किसान बाबू लाल पटेल के लिए इस साल की शुरुआत में बेटी की शादी के लिए पैसे जुटाना टेढ़ी खीर थी। लेकिन जीरे के दाम बढ़ने से उन्हें अपनी पैदावार की अच्छी कीमत मिली जिससे उनकी सारी चिंताएं दूर हो गईं

अपडेटेड Jul 05, 2023 पर 2:08 PM
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2022-23 में जीरे का उत्पादन मामूली बढ़ोतरी के साथ 3,10,000-3,20,000 टन रहा।

जीरे की कीमतों में आई तेजी ने किसान बाबू लाल पटेल को चिंतामुक्त कर दिया है। हालांकि, इस साल के शुरू तक हालात अलग थे। वह अपनी बेटी की शादी की तैयारी में थे, लेकिन इस बात से बेहद चिंतित थे कि इसके लिए पैसे कहां से आएंगे। हालांकि, उनकी 8 एकड़ जमीन में मौजूद जीरा की फसल ने उनकी बेटी की शादी की तैयारी से जुड़ी सभी समस्याएं हल कर दीं।

जीरा में पिछले एक साल से तेजी देखने को मिल रही है। साल दर साल के हिसाब से देखा जाए तो इसमें 150 पर्सेंट भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। यह फसल फरवरी-मार्च में तैयार होती है और पिछले साल के सीजन की बात की जाए, तो इसकी कीमत 19,000-21,000 रुपये प्रति क्विंटल के रेंज में चल रही था, जबकि इस सीजन में कीमत 32,000-33,000 प्रति क्विंटल थी। ऐसे में कहा जा सकता है कि जीरे की खेती करने वाले किसान की किस्मत बदल गई है। हालांकि, जीरे की कीमतों में बढ़ोतरी महज संयोग नहीं थी।

जो किसान अपेक्षाकृत संपन्न थे और जीरे की कीमत को लेकर सतर्क थे, उन्होंने अपनी फसल को कुछ समय के लिए सुरक्षित रखा। यहां तक कि गुजरात के एक सामान्य जीरा किसान को भी अंदाजा था कि पिछले कुछ साल में जीरे की खेती काफी कम हो गई है। गांव-गांव में यह जानकारी थी कि कई किसानों ने जीरे की जगह अन्य फसलों की खेती शुरू कर दी है।


गुजरात के भुज जिले के अंजार FPC के CEO नयन मोइत्राने कहा, "पिछले एक दो साल में हमारे FPO के कई मेंबर किसानों ने जीरे की खेती छोड़ दी क्योंकि उन्हें लगा कि दूसरी फसलों से उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सकता है।"

सरकारी आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। जीरे के उत्पादन में पिछले दो साल से गिरावट है। क्रॉप ईयर 2020-21 में जीरे का उत्पादन 4,50,000-4,75,000 टन रहने का अनुमान जताया गया, जो इससे पिछले साल के मुकाबले 20 पर्सेंट कम था। इसी तरह, 2021-22 में जीरे का उत्पादन 35 पर्सेंट गिरकर 3,00,000 टन हो गया।

जानिए क्यों बढ़े जीरे के दाम?

अनुमान लगाया गया था कि मौजूदा साल में रिकॉर्ड उत्पादन होगा, क्योंकि जीरे की बुआई के समय यानी अक्टूबर-नवंबर 2022 में इसकी कीमतों में भारी तेजी थी। हालांकि, अन्य फसलों की खेती की तरफ रुझान और खराब मौसम की वजह से बंपर फसल की उम्मीदें धराशाई हो गईं और 2022-23 में जीरे का उत्पादन मामूली बढ़ोतरी के साथ 3,10,000-3,20,000 टन रहा। बहरहाल, जीरे की फसल पिछले साल के मुकाबले थोड़ी ज्यादा रही, लेकिन यह पिछले सालों के औसत उत्पादन 5,00,000 टन से 40% कम रहा है।

फरवरी-मार्च के दौरान राजस्थान और गुजरात में बेमौसम बारिश, ओले पड़ने, आंधी और तापमान में उतार-चढ़ाव से जीरे की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है।

जीरे की सप्लाई कम

जीरा का कैरीओवर स्टॉक 50,000-60,000 टन रह गया है जो पिछले तीन साल में सबसे कम है। इसकी वजह से जीरा की सप्लाई पर प्रेशर बढ़ा है। मॉनसून पर अलनीनो के असर की चिंता ने भविष्य में जीरा सप्लाई की अनिश्चितता बढ़ा दी है। इससे भी जीरा की कीमतों में तेजी आई है।

गुजरात में राधनपुर के बनास FPO के चेयरमैन कर्षण भाई जडेजा ने कहा, "प्रति एकड़ 4-5 क्विंटल जीरे की पैदावार होती है। पिछले साल किसानों को एक किलो जीरे के लिए 150 रुपए मिल रहे थे लेकिन इस साल कीमतें ज्यादा हैं। अभी किसानों को एक किलो जीरे के लिए 250-400 रुपए तक मिल रहे हैं।" पिछले साल के ट्रेंड से उलट इस साल जीरा किसानों को बंपर प्रॉफिट हुआ है।

मोइत्रा ने कहा, "जिन किसानों ने दूसरे फसलों के लिए जीरे की खेती छोड़ दी थी उन्हें अब अफसोस हो रहा है। ये सभी किसान इस साल जीरे की खेती करेंगे जिससे आने वाले सीजन में जीरे का रकबा बढ़ जाएगा।"

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First Published: Jul 04, 2023 10:24 PM

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