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सरकार ने फिर लोकल क्रूड ऑयल पर विंडफॉल टैक्स लगाया, डीजल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाई, जानिए क्या होगा असर

क्रूड ऑयल प्रोडक्शन पर फिर से विंडफॉल टैक्स लगाने से सरकार को अतिरिक्त रेवेन्यू हासिल होगा। हालांकि, इसका असर ऑयल कंपनियों पर पड़ेगा। उन्हें घरेलू बाजार में क्रूड ऑयल की सेल पर ज्यादा टैक्स चुकाना होगा

अपडेटेड Apr 19, 2023 पर 9:58 AM
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सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि टैक्स में यह बदलाव 19 अप्रैल से लागू हो जाएगा।

सरकार ने 18 अप्रैल को एक बड़ा फैसला लिया। उसने देश में उत्पादित क्रूड ऑयल (Domestically Produced Crude Oil) पर फिर से विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) लगा दिया है। यह प्रति टन 6,400 रुपये होगा। हालांकि, सरकार ने डीजल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी खत्म कर दी है। पेट्रोल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) को एक्सपोर्ट ड्यूटी से छूट जारी रहेगी। सरकार ने पेट्रोलियम सेक्टर में टैक्स स्ट्रक्चर को तर्कसंगत बनाने और इंडस्ट्री में इनवेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया है।

सरकार की कमाई बढ़ेगी

माना जा रहा है कि क्रूड ऑयल प्रोडक्शन पर विंडफॉल टैक्स में बदलाव से सरकार को अतिरिक्त रेवेन्यू हासिल होगा। हालांकि, इसका असर ऑयल कंपनियों पर पड़ने का अनुमान है। उन्हें घरेलू बाजार में क्रूड ऑयल की सेल पर ज्यादा टैक्स चुकाना होगा। डीजल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाने से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को राहत मिलेगी। इससे इंडियन एक्सपोर्टर्स की प्रतिस्पर्धी क्षमता भी बढ़ेगी। इससे वे ग्लोबल मार्केट में ज्यादा प्रतिस्पर्धी कीमतों पर डीजल बेच सकेंगी।


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इंडियन इकोनॉमी पर अच्छा असर

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुल मिलाकर क्रूड ऑयल पर विंडफॉल टैक्स में बदलाव का इंडियन इकोनॉमी पर अच्छा असर पड़ेगा। इससे इंडस्ट्री में निवेश बढ़ेगा। सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा। इससे पहले सरकार ने देश में उत्पादित पेट्रोल पर विंडफॉल टैक्स घटाकर जीरो कर दिया था। डीजल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को आधी कर दी थी। यह प्रति लीटर 0.50 रुपये हो गई थी।

बदलाव 19 अप्रैल से लागू

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि टैक्स में यह बदलाव 19 अप्रैल से लागू हो जाएगा। सरकार ने यह बदलाव ऐसे समय किया है, जब ऑयल की कीमतों में उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह ऑयल उत्पादक देशों के संगठन OPEC की तरफ से उत्पादन में कमी करने का फैसला था। सरकार हर पखवाड़े ऑयल पर टैक्स रेट्स की समीक्षा करती है। इसके लिए पिछले दो हफ्तों के एवरेज प्राइस को आधार माना जाता है।

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