Petrol Diesel Price: देश भर में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। विधान सभा के चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल-डीजल के दाम खौलने लगे। इस बीच देश में पिछले 8 साल में पेट्रोल 45 फीसदी महंगा हो गया है और डीजल के दाम 75 फीसदी बढ़ गए हैं। इन 8 सालों में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स से सरकार की कमाई 4 गुना बढ़ गई है। हालांकि इस दौरान राज्य सरकारों की कमाई दोगुना भी नहीं हुई है।
पिछले 20 दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी होने से पेट्रोल-डीजल महंगा हो गया। तेल के दाम बढ़ने से इसकी मार आम आदमी को झेलनी पड़ती है। लेकिन इससे सरकारी खजाने में बढ़ोतरी होती है। वो फिर चाहे केंद्र सरकार का खजाना हो या फिर राज्य सरकार का।
जानिए साल 2014 में पेट्रोल-डीजल के भाव
पेट्रोलियम मिनिट्री के तहत आने वाले पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (Petroleum Planning and Analysis Cell -PPAC) के मुताबिक, 8 साल में पेट्रोल की कीमत 45 फीसदी और डीजल की कीमत 75 फीसदी तक बढ़ गई है। 1 अप्रैल 2014 को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 72.26 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 55.49 रुपये प्रति लीटर थी। इसके 8 साल बाद 11 अप्रैल 2022 को दिल्ली में पेट्रोल के भाव 105.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 96.67 रुपये प्रति लीटर हो गए। इन 8 सालों में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी (Excise duty ) के जरिए सरकारी की कमाई चार गुना बढ़ गई।
कब कितनी हुई सरकार की कमाई
PPAC के मुताबिक, साल 2014-15 में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से 99,068 करोड़ रुपये कमाए। वहीं साल 2020-21 में 3.73 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई। केंद्र सरकार ने साल 2021-22 में अप्रैल से सितंबर तक एक्साइज ड्यूटी से 1.70 लाख करोड़ की कमाई की है।
टैक्स से राज्य सरकारों की कमाई
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से राज्य सरकारें भी बपर कमाई करती हैं। साल 2014-15 में राज्यों ने 1.37 लाख करोड़ रुपये की कमाई की थी। 2020-21 में ये कमाई बढ़कर 2.02 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई। 2021-22 में अप्रैल से सितंबर तक ही राज्य सरकारों के खजाने में 1.21 लाख करोड़ रुपये आ गए हैं।
भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर कच्चा तेल (crude oil) बाहर से खरीदता है। कच्चा तेल बाहर से आने के बाद रिफायनरी में जाता है। यहां से पेट्रोल और डीजल को अलग-अलग कर निकाला जा जाता है। इसके बाद ये तेल कंपनियों के पास पहुंचता है। तेल कंपनियां अपना मुनाफा बनाती हैं और इसे पेट्रोल पंप तक पहुंचाती हैं। पेट्रोल पंप पर आने के बाद उसके मालिक अपना कमीशन जोड़ते हैं। ये कमीशन तेल कंपनियां ही तय करती हैं। उसके बाद केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से जो टैक्स लगता है, उसे जोड़ दिया जाता है। पूरा मुनाफा, कमीशन और टैक्स जोड़ने के बाद पेट्रोल-डीजल आम आदमी को मुहैया कराया जाता है।
कौन तय करते हैं तेल की कीमतें
पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतें केंद्र सरकार ही तय किया करती थी। लेकिन जून 2010 में मनमोहन सरकार (Manmohan Singh government) ने पेट्रोल की कीमतें तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को दे दिया। इसके बाद अक्टूबर 2014 में मोदी सरकार (Modi government) ने तेल की कीमतें तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को ही सौंप दिया। इसके बाद अप्रैल 2017 में यह तय किया गया कि पेट्रोल-डीडल के दाम हर दिन तय किए जाए। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि हर दिन कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट या बढ़ोतरी होती है। ऐसे में इसका फायदा आम आदमी और तेल कंपनियों दोनों को मिलेगा। हालांकि सरकार के इस कदम से आम आदमी को फायदा कम सरकारी खजाने को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है।