बीते नवंबर से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं। इसके चलते ऑयल कंपनियों को फ्यूल की बिक्री से नुकसान हो रहा है। फ्यूल पर कंपनियों का मार्जिन माइनस में चला गया है। उन्हें प्रति लीर बिक्री पर 1.54 रुपये का नुकसान हो रहा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा है कि ऑयल कंपनियों को नुकसान से बचाने के लिए पेट्रोल और डीजल के भाव में प्रति लीटर 12 रुपये तक की वृद्धि 16 मार्च तक करनी पड़ेगी। गुरुवार को क्रूड की कीमतें 120 डॉलर प्रति लीटर तक पहुंच गई थी। पिछले 9 साल में पहली बार क्रूड का प्राइस इस लेवल पर पहुंचा।
शुक्रवार को क्रूड में थोड़ी नरमी देखने को मिली। इसका भाव 111 डॉलर प्रति लीटर पर आ गया। इसके बावजूद कॉस्ट और रिटेल प्राइस के बीच फर्क बरकरार है। आईसीआईसीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्यूल की कीमतों में जल्द बढ़ोतरी की जरूरत है। अगर 16 मार्च तक फ्यूल की कीमत में 12.1 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की जाती है तो ऑयल कंपनियों को हो रहा नुकसान बंद हो जाएगा। प्रति लीटर 2.5 रुपये की मार्जिन के लिए कीमतों में प्रति लीटर 15 रुपये की वृद्धि करनी होगी।
जेपी मॉर्गन ने भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रोजाना वृद्धि की उम्मीद जताई है। उसने कहा है कि अगले हफ्ते उत्तर प्रदेश में चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद डीजल और पेट्रोल की कीमतों में रोजाना वृद्धि देखने को मिलेगी। नवंबर से पेट्रोल और डीजल की कीमतें तेल कंपनियों ने नहीं बढ़ाई हैं। माना जाता है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के चलते कंपनियों ने कीमतें नही बढ़ाई।
दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये प्रति लीटर है। वहां डीजल की कीमत 86.67 रुपये प्रति लीटर है। कुछ राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा है। हालांकि, लोगों को महंगे फ्यूल से राहत देने के लिए सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में प्रति लीटर करीब 10 रुपये की कटौती की थी।
माना जा रहा है कि पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ने का असर दूसरी चीजों की कीमतों पर भी पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का काफी इस्तेमाल होता है।