पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड यानि PNGRB के सीनियर अधिकारियों की कोशिश अगर कामयाब होती है तो मुमकिन है कि नेचुरल गैस और CNG की कीमतों में कमी आए। राज्यों में CNG और नेचुरल गैस की डिमांड बढ़ाने के लिए ये अधिकारी कोशिश कर रहे हैं कि राज्यों को इस बात के लिए राजी कर लिया जाए कि वो CNG और नेचुरल गैस पर VAT को वाजिब लेवल पर लेकर आए। नेचुरल गैस और CNG पर जो VAT लगता है वह राज्य सरकार के खजाने में जाता है।
PNGRB के सीनियर अधिकारियों ने उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और यूपी सहित करीब एक दर्जन राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपाल या मुख्य सचिव से बातचीत करके उन्हें समझाने का प्रयास किया है।
पहले भी घटाए गए हैं CNG के दाम
PNGRB की कोशिशों से पिछले दो साल में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दादर नगर हवेली, दमन-द्वीव में नेचुरल गैस के वैट में कटौती की गई है। इसका फायदा आम लोगों को मिला।
वैट को वाजिब लेवल पर लाना क्यों है जरूरी
भारत के ही कुछ राज्यों में सिर्फ 5 फीसदी VAT है। जबकि कुछ राज्यों में यह 20 फीसदी से ज्यादा लगता है। यही वजह है कि अलग-अलग राज्यों में CNG और नेचुरल गैस की कीमत अलग हो जाती है। लागत अलग होने से उपभोक्ता को कीमत भी अलग चुकानी पड़ती है।
भारत में घरेलू पाइप्ड प्राकृतिक गैस (PNG) की बिक्री कीमत त्रिपुरा में लगभग ₹45 प्रति स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (SCM) है, जबकि उत्तराखंड में यह करीब ₹63 तक पहुंच जाती है। इसी तरह, CNG की कीमत पुडुचेरी में लगभग ₹74.60 प्रति किलोग्राम है, जबकि उत्तराखंड में यह ₹103.80 प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाती है।
नेचुरल गैस को वाजिब भाव पर लाना क्यों जरूरी है?
कुल मिलाकर, VAT में कटौती से नेचुरल गैस और PNG की खपत बढ़ेगी। इसके साथ ही सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन भी बेहतर होगा। और इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि एयर पॉल्यूशन कम करने में मदद मिलेगी। राज्यों द्वारा वैट को तर्कसंगत बनाना और प्रभावी CGD नीतियां लागू करने से आम लोगों के लिए CNG वाहनों को अपनाने में काफी मददगार साबित हुआ है। मार्च 2023 में जहां सड़क पर 58.61 लाख सीएनजी वाहन थे, वहीं मार्च 2025 तक यह संख्या लगातार बढ़कर 81.95 लाख तक पहुंच गई है।