Rupee Vs Dollar:डॉलर के मुकाबले रुपये में बढ़ती कमजोरी पर आरबीआई की नजर बनी हुई। 1 अक्टूबर यानी आज आरबीआई पॉलिसी के ऐलान के साथ ही आरबीआई गर्वनर संजय मल्होत्रा ने रुपये की गिरावट पर बयान देते हुए कहा कि हाल के दिनों में भारतीय मुद्रा पर दबाव रहा है और इसमें उतार-चढ़ाव भी देखा गया है। “हम रुपये पर कड़ी नजर रख रहे हैं"।
गवर्नर ने कहा कि RBI रुपये की हर मूवमेंट पर बारीकी से नज़र रख रहा है और हालात के मुताबिक ज़रूरी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। उनका संदेश साफ है कि रुपया स्थिरता RBI की प्राथमिकता में है। उन्होंने कहा कि RBI का मकसद मुद्रा स्थिरता और निवेशक भरोसा कायम रखना है।
बता दें कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को अगस्त में मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 2.6 फीसदी कर दिया, जबकि पहले अगस्त में मुद्रास्फीति दर 3.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। RBI गवर्नर ने कहा, "हाल के महीनों में समग्र मुद्रास्फीति का अनुमान काफ़ी हद तक अनुकूल हो गया है, मुख्य मुद्रास्फीति जून के 3.7% से घटाकर अगस्त में 3.1% और हाल ही में इसे और घटाकर 2.6% कर दिया गया है।"
आरबीआई एमपीसी ने वित्त वर्ष 27 की पहली तिमाही के लिए अपने पूर्वानुमान को भी पिछले 4.9% से घटाकर 4.5% कर दिया है। हालाँकि, यह केंद्रीय बैंक के 4% के लक्ष्य से ऊपर है। मल्होत्रा ने कहा कि जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
इस बीच रुपये पर नजर डालें तो बुधवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5 पैसे बढ़कर 88.75 पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि मंगलवार को अपने निम्नतम स्तर पर बंद होने के बाद भारतीय रुपया सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है। इसकी मुख्य वजह विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और बढ़ती व्यापारिक चिंताएं हैं।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.79 पर खुला और फिर 5 पैसे बढ़कर 88.75 पर पहुँच गया, जो पिछले बंद भाव से 5 पैसे अधिक था। मंगलवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5 पैसे गिरकर 88.80 के अपने ऑल टाइम लो पर आ गया।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि भारत की रूसी तेल खरीद पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लगातार दबाव ने रुपये की धारणा को कमजोर कर दिया है और समग्र इक्विटी बाजार की धारणा को प्रभावित किया है, जिससे भारत रुपये और इक्विटी के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बाजार में बना हुआ है।