चांदी ने सितंबर 2025 में कीमतों में बढ़ोतरी के मामले में सोने को पीछे छोड़ दिया। बीते महीने चांदी की कीमतें (Silver Price) 19.4 प्रतिशत बढ़ीं। इस दौरान सोने की कीमत में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। चांदी की कीमतों में यह वृद्धि इंडस्ट्रीज की ओर से मजबूत डिमांड और ग्लोबल सप्लाई में कमी के कारण हुई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सराफा बाजार में शुक्रवार, 3 अक्टूबर को चांदी 500 रुपये की गिरावट के साथ 1,50,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई।
चांदी 2 सितंबर 2025 को 1,26,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर थी। 30 सितंबर 2025 को यह 1,50,500 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, यानि कि 24,500 रुपये का उछाल। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जिंस बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी निवेश का तो अच्छा विकल्प है ही। साथ ही इसकी इंडस्ट्रियल डिमांड भी है। इसकी कुल मांग में इंडस्ट्रियल खपत की हिस्सेदारी 60-70 प्रतिशत तक है।
वेंचुरा में जिंस डेस्क और सीआरएम प्रमुख एन एस रामास्वामी का कहना है कि बाजार लगातार 7 वर्षों से चांदी की सप्लाई की कमी से जूझ रहा है। यह असंतुलन कीमतों में बढ़ोतरी के दबाव में योगदान दे रहा है। अकेले सोलर पैनल में इस्तेमाल के लिए 2024 में 23.2 करोड़ औंस चांदी की जरूरत रही होगी। इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में खासतौर से मांग देखी जा रही है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का कहना है कि इंडस्ट्रियल डिमांड चांदी के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रोथ ड्राइवर के रूप में उभरी है।
ग्लोबल मार्केट में 15 साल के हाई पर चांदी
वैश्विक स्तर पर स्पॉट सिल्वर लगभग 2 प्रतिशत बढ़कर 47.75 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई है। पीटीआई के मुताबिक, एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की कमोडिटीज एंड करेंसी रिसर्च एनालिस्ट रिया सिंह का कहना है, "चांदी के 47 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंचने के पीछे स्ट्रक्चरल ओनरशिप, इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टमेंट का फ्लो और फ्लेक्सिबल इंडस्ट्रियल डिमांड जैसे फैक्टर हैं। इसके चलते बाजार उसके पारंपरिक आधार से कहीं अधिक कड़ा हो गया है। 47 डॉलर प्रति औंस से ज्यादा का यह स्तर चांदी का पंद्रह वर्षों का हाई है।" कमोडिटी बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, चांदी ने आखिरी बार 17 जनवरी, 1980 को 49.95 डॉलर प्रति औंस का रिकॉर्ड उच्च स्तर छुआ था। वर्तमान कीमतें अब उस ऐतिहासिक ऊंचाई के करीब पहुंच रही हैं।
यह भी कहा जा रहा है कि चांदी की तेजी को अमेरिकी सरकार के मौजूदा शटडाउन से भी बल मिला है, जिसने सुरक्षित निवेश की मांग को फिर से जिंदा कर दिया है। साथ ही कमजोर डॉलर, केंद्रीय बैंकों की ओर से अच्छी खरीद और कमजोर आर्थिक आंकड़ों ने इस साल के अंत में फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीदों को मजबूत किया है। इन सब फैक्टर्स ने चांदी के साथ-साथ सोने को भी बूस्ट दिया है।
इस बीच स्विट्जरलैंड के मल्टीनेशनल बैंक UBS ने चांदी की कीमतों के लिए अपने पूर्वानुमान बढ़ा दिए हैं। बैंक को अब चांदी की कीमतें 2026 के मध्य तक 52 और 55 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की उम्मीद है। पहले इसके 44 और 47 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक जाने की उम्मीद जताई थी।
सोने का भाव एक महीने में कहां से कहां पहुंचा
सितंबर में सोने की कीमतों में 14,330 रुपये प्रति 10 ग्राम या 13.56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 1 सितंबर 2025 को सोने की कीमत 1,05,670 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। 30 सितंबर 2025 को यह 1,20,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। दिल्ली के सराफा बाजार में शुक्रवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 1,20,600 रुपये और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 1,20,000 प्रति 10 ग्राम पर था। वैश्विक स्तर पर स्पॉट गोल्ड 3,871.81 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया है।