महाराष्ट्र सरकार सोयाबीन किसानों से पूरा आवक नहीं खरीद रही है। जिससे किसानों को परेशानी हो रही है और वो मंडियों में MSP के चीनी माल बेचने को मजबूर हैं। बता दें कि महाराष्ट्र सरकार को 79 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन उत्पादन की उम्मीद है। जिसमें 18.5 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य है। 5328 प्रति क्लिंटल के भाव पर खरीद होगी। क्वालिटी स्टैंडर्ड के आधार पर ही खरीद होगी। फसल में नमी 12% कम होना जरूरी है। फेयर एवरेज क्वालिटी का भी होना जरूरी है। अगर सरकार द्वारा सोयाबीन का तय मानक पूरा नहीं तो खरीद संभव नहीं होगी। मानक पूरा नहीं तो खुले बाजार में किसान सोयाबीन बेचें । और अगर मानक पूरा तो बाजार जाने की जरूरत नहीं है।
NAFED, NCCF किसानों से खरीद कर लेंगे। 3 दिन में DBT के जरिए रकम भी मिल जाएगी। खरीद के लिए पूरे राज्य में 580 सेंटर बनाए गए। APMCs को भी इस साल खरीद का सेंटर बनाया गया।
बाढ़, बारिश से फसल को काफी नुकसान हुआ। सरकार प्रभावित फसल की खरीद नहीं कर रही है। किसान MSP से कम भाव पर बाजार में बेच रहे हैं। 3500-4000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचने को मजबूर हुए है। जबकि सोयाबीन की MSP 5328 प्रति क्विंटल है। सरकार को नियमों में थोड़ी राहत देनी चाहिए। हालात को देखते हुए नियमों में राहत देनी चाहिए।
विधानसभा में हुआ था जमकर हंगामा
बता दें कि कल महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान फसल की खरीद पर जमकर हंगामा हुआ था। विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट करते हुए सरकार पर किसानों के साथ धोखा और शोषण करने का आरोप लगाया।
विपणन मंत्री रावल ने बताया कि पिछले वर्ष 11.25 लाख टन सोयाबीन की खरीद के बाद इस वर्ष 19 लाख टन का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार पूरी खरीद प्रक्रिया डिजिटल और बायोमेट्रिक तरीके से की जा रही है। राज्य में अनुमानित 80 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का लगभग 25 प्रतिशत हस्तक्षेप योजना के तहत खरीदा जाएगा और इस योजना का मुख्य उद्देश्य बाजार मूल्यों को गिरने से रोकना है।