फेस्टिव सीजन में घुलेगी मिठास, भारत में शुगर प्रोडक्शन 18% बढ़ने का अनुमान

ISMA ने चेतावनी दी है कि उत्पादन बढ़ने की उम्मीद के मुताबिक सरकार को समय पर निर्यात की अनुमति देने के फैसले लेने चाहिए, वरना चीनी सेक्टर को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है

अपडेटेड Aug 01, 2025 पर 2:55 PM
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उत्तर प्रदेश में 1.025 करोड़ टन, महाराष्ट्र में 1.326 करोड़ टन और कर्नाटक में 66.1 लाख टन चीनी का उत्पादन मुमकिन

देश में इस साल शुगर का प्रोडक्शन काफी अच्छा रह सकता है। इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन (ISMA) के अनुमान के मुताबिक, फसली सीजन 2025-26 में शुगर का प्रोडक्शन 18 फीसदी बढ़कर 3.49 करोड़ टन जा सकता है। शुगर का क्रॉप सीजन या फसली सीजन अक्टूबर से शुरू होता है। शुगर के दमदार प्रोडक्शन के पीछे गन्ने की बंपर पैदावार, अधिक रकबे और अच्छे मानसून का हाथ है। वैसे चीनी उत्पादन का सटीक अनुमान सितंबर में जारी किया जाएगा।

क्रॉप सीजन 2025-26 में देश में कुल 3.49 करोड़ टन चीनी उत्पादन हो सकता है। जबकि फसली सीजन 2024-25 में 2.61 करोड़ टन चीनी का प्रोडक्शन हुा था।  इस उत्पादन के साथ, भारत से 20 लाख टन चीनी के निर्यात की संभावना है। वर्तमान सत्र (2024-25) में सरकार ने 10 लाख टन निर्यात की अनुमति दी थी।

एथनॉल के लिए चीनी का इस्तेमाल 


अगले सत्र में करीब 50 लाख टन चीनी का एथनॉल उत्पादन के लिए किया जा सकता है। जबकि चालू सत्र में यह आंकड़ा 35 लाख टन है। एथनॉल के लिए उपयोग के बाद भी घरेलू जरूरतों के लिए तीन करोड़ टन ताजा चीनी और 52 लाख टन का शुरुआती स्टॉक उपलब्ध रहेगा।

चीनी का उत्पादन कहां होता है सबसे ज्यादा?

अनुमान के अनुसार उत्तर प्रदेश में 1.025 करोड़ टन, महाराष्ट्र में 1.326 करोड़ टन और कर्नाटक में 66.1 लाख टन चीनी उत्पादन संभावित है। बेहतर मानसून व पैदावार के चलते गन्ना उत्पादन 93.3 लाख टन से बढ़कर 1.326 करोड़ टन हो सकता है।

इस्मा ने 20 लाख टन चीनी निर्यात की समय पर अनुमति, एथनॉल के लिए चीनी के उपयोग में बढ़ोतरी, न्यूनतम बिक्री मूल्य में वृद्धि और बी-ग्रेड शीरा व गन्ना रस से बने एथनॉल की कीमतों की बढ़ोतरी की मांग की है।

ISMA ने चेतावनी दी है कि उत्पादन बढ़ने की उम्मीद के मुताबिक सरकार को समय पर निर्यात की अनुमति देने के फैसले लेने चाहिए, वरना चीनी सेक्टर को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। एथनॉल उत्पादन के लिए चीनी के अधिक उपयोग, घरेलू सप्लाई में सहजता और निर्यात नीति में व्यावहारिक बदलाव की सिफारिश की गई है। फिलहाल, भारत के पास पर्याप्त स्टॉक है और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिहाज से समय रहते नीति तय करना जरूरी होगा।

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