टमाटर की खेती भारत में साल में तीन बार की जाती है, लेकिन सर्दी के मौसम में उगने वाले टमाटर का स्वाद बेहद खास होता है। अक्सर टमाटर की फसल मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी-फरवरी में उगाई जाती है। सर्दियों में उगे टमाटर न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होते हैं, बल्कि इनकी खेती किसानों के लिए फायदेमंद भी रहती है क्योंकि बाजार में इनकी मांग हमेशा बनी रहती है। टमाटर के उत्पादन से किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
सर्दियों के दौरान टमाटर में कुछ समस्याएं भी आ सकती हैं, जैसे कि फल का फटना, लेकिन अगर किसान कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाएं, तो इन समस्याओं से बचा जा सकता है और टमाटर की उपज बेहतर हो सकती है।
फल फटने की समस्या और कारण
ठंड के मौसम में टमाटर के फल फटने की समस्या अक्सर होती है, जो उत्पादन में कमी का कारण बनती है। जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक के अनुसार, यह समस्या सूखा पड़ने या बोरान की कमी के कारण होती है। इसके अलावा, ऊसर भूमि पर टमाटर की खेती करने से भी यह समस्या बढ़ सकती है।
सर्दी और बारिश से टमाटर की फसल पर असर
खराब मौसम, खासकर सूखा पड़ने के बाद अचानक बारिश होने से टमाटर में फल फटने की समस्या उत्पन्न होती है। इसके लिए किसानों को सूखा पड़ने पर भी नियमित सिंचाई करनी चाहिए, ताकि बारिश के बाद फल फटने की समस्या कम हो सके।
टमाटर में फल फटने की समस्या बोरान की कमी के कारण होती है। इसे रोकने के लिए किसान मिट्टी में 20-25 किलोग्राम बोरान मिला सकते हैं और 0.25% बोरेक्स का घोल टमाटर के पौधों पर छिड़क सकते हैं। इसे 2-3 बार छिड़कने से फल फटने की समस्या रोकी जा सकती है।
ऊसर भूमि पर टमाटर की खेती से बचें
ऊसर भूमि पर टमाटर की खेती से फल फटने की समस्या ज्यादा होती है। इसलिए, किसानों को ऊसर भूमि पर टमाटर की खेती से बचना चाहिए, ताकि वे इस समस्या से बच सकें और बेहतर उत्पादन पा सकें।