IT सेक्टर की बड़ी कंपनी Accenture ने आज अपने तीसरी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं। अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों और गहराती मंदी के बीच Accenture के नतीजों से भारतीय IT कंपनियों के नतीजों की भी दिशा बनेगी। आइए जानते हैं तीसरी तिमाही में कैसा रहा Accenture का प्रदर्शन।
तीसरी तिमाही में Accenture Plc की आय उम्मीद से बेहतर रही है। इस अवधि में कंपनियों का फोकस अपने कारोबार के डिजिटलीकरण पर रहा है जिसका फायदा Accenture जैसी आईटी कंपनी को मिला है। 31 मई को खत्म हुई तीसरी तिमाही में कंपनी की आय 16.16 अरब डॉलर पर रही है जबकि एनालिस्ट का अनुमान था कि इस अवधि में कंपनी की आय 16.03 अरब डॉलर रहेगी।
तीसरी तिमाही में Accenture को 17 अरब डॉलर के नए डील मिले हैं। ये अभी तक का दूसरा सबसे बड़ा आकंड़ा रहा है। कंपनी को इस अवधि में मिले नए डील में यूएस डॉलर टर्म में 10 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है।
तीसरी तिमाही में कंपनी की ऑपरेटिंग इनकम 23 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 2.6 अरब डॉलर पर रही है जबकि ऑपरेटिंग मार्जिन 10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के साथ 16.1 फीसदी पर रही है।
Accenture की चेयरपर्सन और सीईओ जूली स्वीट (Julie Sweet) का कहना है कि तीसरी तिमाही में हमारे नतीजे काफी मजबूत रहे हैं। हमारे नतीजे यह दिखाते हैं कि बाजार में सभी सेक्टरों, सेवाओं और इंडस्ट्रीज में हमारे प्रोडक्ट और हमारे 710,000 कर्मचारियों की प्रतिभा की भारी मांग है। तीसरी तिमाही में हमारे मार्केट शेयर में अच्छी बढ़ोतरी जारी रही है।
कंपनी ने चौथी तिमाही के लिए अपने गाइडेंस जारी करते हुए कहा है कि चौथी तिमाही में कंपनी की रेवेन्यू 15 अरब डॉलर से 15.5 अरब डॉलर के बीच रह सकती है जबकि बाजार का अनुमान है कि चौथी तिमाही में कंपनी की आय 15.70 अरब डॉलर के आसपास रह सकती है। इस आईटी सर्विस कंपनी ने चौथी तिमाही के अपने फोरकॉस्ट जारी करते हुए कहा कि बढ़ती महंगाई और डॉलर में मजबूती के कारण कंपनी के विदेशी कारोबार में होने वाले आय पर दबाव देखने को मिल सकता है।
बता दें कि आज इस स्टॉक में इंट्राडे में 2.8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। Accenture के शेयरों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो 6 महीने में यह स्टॉक 32 फीसदी टूटा है जबकि 2022 में अब तक इस स्टॉक में 34 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
बता दें कि ग्लोबल इकोनॉमी में कमजोरी की संभावनाओं के बीच हाल के महीनों में दूसरी करेंसियों के मुकाबले में डॉलर में काफी ज्यादा मजबूती आई है। ग्लोबल अनिश्चितता के दौर में निवेश सुरक्षित विकल्पों की तरफ रुख कर रहे हैं ऐसे में डॉलर इंडेक्स अपने 2 दशकों के हाई पर पहुंच गया है। यूएस फेड की तरफ से महंगाई से निपटने के लिए मौद्रिक नीतियों में कड़ाई लाने और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से भी डॉलर को सपोर्ट मिला है। डॉलर में मजबूती आने का मतलब है कि ऐसी अमेरिकी कंपनियों की कमाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिनका कारोबार इंटरनेशनल स्तर पर काफी फैला हुआ है और जिनकी दूसरी देशों की मुद्राओं में होने वाली कमाई को डॉलर में कनवर्ट करना पड़ता है। गौरतलब है कि Accenture एक अमेरिकन कंपनी है और इसकी कमाई का आधा से ज्यादा हिस्सा दुनिया के दूसरे देशों से आता है।