भारतीय बाजारों के हाल के गिरावट की खास बात ये रही है कि इस दौरान विदेशी निवेशकों ने भारी बिकवाली की है। पिछले साल अक्टूबर से अब तक एफआईआई ने भारतीय बाजारों में 2.08 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। ये आंकड़े NSDL के विवरण पर आधारित हैं। सेंसेक्स-निफ्टी इस समय अपने हाई से करीब 18 फीसदी नीचे नजर आ रहे हैं।
एनालिस्ट का कहना है कि भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों के बेरूखी का 9 महीने का यह दौर अभी और लंबा खिंच सकता है। फॉरेन मनी मैनेजरों की टिप्पणियों और घरेलू एनालिस्टों के स्टेटमेंट से यह बात साफ होती है कि भारतीय बाजार की तरफ विदेशी निवेशकों का रुझान एक बार फिर आकर्षित करने के लिए कई फैक्टर्स की जरुरत होगी।
एनालिस्ट का मानना है कि भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों के बेरूखी के कई कारण रहे हैं। यूएस डॉलर में मजबूती के चलते अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में बढ़त देखने को मिली है जिससे भारत से पैसा निकलकर अमेरिका की तरफ जाता नजर आया है। इसके अलावा मौद्रिक नीतियों में आ रही कड़ाई से भी इक्विटी बाजार पर निगेटिव असर पड़ा है।
बाजार जानकारों का यह भी कहना है कि मौद्रिक नीतियों में आ रही कड़ाई, इकोनॉमिक रिकवरी के चाल धीमी पड़ने की संभावना, निफ्टी के अर्निंग अनुमान में कटौती और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें कुछ ऐसी वजहें है जो भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों को दूर रखेंगी।
BofA Securities का कहना है कि आगे निफ्टी हमें 14000 का स्तर भी छूता नजर आ सकता है। फिलहाल अभी यह 15500 के आसपास चक्कर लगा रहा है। इसी तरह जेफरीज के हेड ऑफ ग्लोबल इक्विटीज Christopher Wood का कहना है कि अगर निफ्टी गिरकर 14000-14500 के आसपास आ जाता है तो वह अपने पोर्टफोलियों में भारत के वेटेज को बढ़ा देंगे।
इन सब बयानों से साफ होता है कि भारतीय बाजार को लेकर विदेशी निवेशकों का नियर टर्म आउटलुक बियरिश बना हुआ है। इसका मतलब यह है कि बाजार में घरेलू पैसे के आने के बावजूद नियर टर्म में भारतीय बाजार पर दबाव कायम रहेगा। इस समय वैल्यू इनवेस्टर विजय केडिया वह बयान काफी प्रासंगिक हो जाता है जिसमें उन्होंने कहा था कि स्टॉक मार्केट का सही खेल तभी शुरु होगा जब एफआईआई और डीआईआई दोनों नेट बायर हो जाएंगे। अब सवाल यह है कि ऐसा कब होगा? इसका कोई साफ जबाव नहीं है।
Ventura Securities के Vinit Bolinjkar का कहना है कि बढ़ती महंगाई के कारण कमजोर बिजनेस साइकिल और मांग में कमजोरी का यह दौर अगले 15-18 महीने तक जारी रह सकता है। ऐसे में जब तक भारत आधारित कोई खास ट्रिगर नहीं दबता या इकोनॉमी में कोई बड़ा नाटकीय बदलाव नहीं होता तब तक एफआईआई की बिकवाली का दबाव कायम रहेगा।
Geojit Financial Services के विनोद नायर का कहना है कि उभरते बाजारों में तब तक एफआईआई की बिकवाली जारी रहेगी जब तक केंद्रीय बैंकों की हॉकिस पॉलिसी को बाजार पूरी तरह पचा नहीं लेता। ऐसा होने में समय लगेगा।
इसी तरह CapitalVia Global Research के अखिलेश जाट का कहना है कि यूएस फेड ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी की नीति पर कायम रहेगा। इसके चलते एफआईआई भारतीय बाजारों में बिकवाली करते रहेंगे।
गौरतलब है कि विदेशी निवेशकों के बिकवाली का सबसे ज्यादा झटका आईटी और बैकिंग स्टॉक्स को लगा है। इन दोनों सेक्टरों में विदेशी निवेशकों का सबसे ज्यादा पैसा भी लगा था। यही वजह है कि स्थितियां खराब होने पर यहीं से विदेशी पैसा सबसे ज्यादा निकलता नजर आया है। 2022 में निफ्टी आईटी अब तक 20 फीसदी टूट चुका है। वहीं निफ्टी बैंक 10 फीसदी नीचे आया है।
एनालिस्टों का मानना है कि महंगे वैल्यूएशन को देखते हुए आईटी में जल्द ही किसी रिकवरी की उम्मीद नहीं है। हालांकि अधिकांश एनालिस्ट बैंकिंग स्टॉक को लेकर बुलिश हैं।
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