मार्केट कैप के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के वित्त वर्ष 2022-23 के पहली तिमाही के नतीजे 22 जुलाई को आने वाले हैं। उम्मीद है कि इस तिमाही में कपनी की आय, ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन और रिटेल बिजनेस की आय में अच्छी मजबूती देखने को मिलेगी। मनीकंट्रोल ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के पहली तिमाही के नतीजे कैसे रह सकते हैं, इस पर 5 ब्रोकरेज हाउसेज से बात की है। इनकी बातचीत से निकल कर आया है कि पहली तिमाही में RIL के कंसोलिडेटेड मुनाफे में सालाना आधार पर 105 फीसदी की और तिमाही आधार पर 56 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है। इस अवधि में कंपनी का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 25238.8 करोड़ रुपये पर रह सकता है।
कंपनी के मुनाफे में यह बढ़ोतरी आय में जबरदस्त बढ़ोतरी के दम पर आएगी। उम्मीद है कि कल आने वाले पहली तिमाही के नतीजे में कंपनी के कंसोलिडेटेड रेवेन्यू में सालाना आधार पर 68.3 फीसदी और तिमाही आधार पर 13.6 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है। यह 24.4 लाख करोड़ रुपये पर रह सकती है।
यस सिक्योरिटीज ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के पहली तिमाही के नतीजों पर जारी प्रिव्यू नोट्स में कहा है कि उम्मीद है कि इस अवधि में कंपनी की आय में सालाना और तिमाही दोनों आधार पर जबरदस्त ग्रोथ देखने को मिलेगी। कंपनी को रिफाइनिंग कारोबार में बढ़ते मुनाफे और टेलीकॉम के ARPU में हो रही बढ़त का फायदा मिलेगा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज को जून तिमाही के दौरान यूरोपियन और अमेरिकी बाजारों में सप्लाई की कमी के कारण डीजल और जेट फ्यूल जैसे रिफाइनिंग प्रोडक्ट की मार्जिन में जबरदस्त बढ़ोतरी का फायदा मिलेगा। यूरोपियन यूनियन और अमेरिकी बाजार में इस अवधि में मजबूत मांग और रूस से होने वाले सप्लाई पर लगे प्रतिबंध के कारण डीजल और जेट फ्यूल की इनवेंटरी (भंडार) में भारी गिरावट आई है।
जून महीने में सिंगापुर ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन 25 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया था। जबकि जून में खत्म हुए तीन महीने की अवधि में यह 18.7 डॉलर प्रति बैरल के औसत पर रहा था। ऐसे में एनालिस्ट का अनुमान है कि जून तिमाही में RILका औसत ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन 22 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रह सकता है। जो मार्च तिमाही का लगभग दो गुना है। एनालिस्ट का ये भी मानना है कि पहली तिमाही में कंपनी के मार्जिन में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इस अवधि में कंपनी के डीजल, गैस ऑयल और जेट फ्यूल की औसत मार्जिन लगभग क्रमश: 42.1 डॉलर, 31.2 डॉलर और 36 डॉलर प्रति बैरल रह सकता है। ये मार्च तिमाही की तुलना में काफी ज्यादा है।
रिफाइनिंग के अलावा जून तिमाही में कंपनी के रिटेल कारोबार में भी मजबूती कायम रहने की संभावना है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का मानना है कि जून तिमाही में कंपनी के रिटेल बिजनेस के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 9 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
इसी तरह जियो प्लेटफॉर्म के तहत आने वाला कंपनी का टेलीकॉम बिजनेस भी जून तिमाही में मजबूत प्रदर्शन करता नजर आ सकता है। हालांकि टेलीकॉम सेक्टर पर महंगाई के दबाव के चलते इसके आय पर कुछ दबाव देखने को मिल सकता है। एनालिस्ट को उम्मीद है कि जून तिमाही में रिलायंस जियो के एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) में तिमाही आधार पर 4 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। जो कि इस पूरे सेक्टर का हाइएस्ट लेवल है। एनालिस्ट का यह भी मानना है कि तीसरी तिमाही में कंपनी के यूजर बेस में भी बढ़ोतरी नजर आ सकती है।
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