इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) ने शुक्रवार 17 अक्टूबर को साफ किया कि हाल ही में मीडिया में सामने आई 255 करोड़ रुपये की अकाउंटिंग गड़बड़ी किसी नई जांच का हिस्सा नहीं है। बैंक ने कहा कि यह मामला पहले ही एक स्वतंत्र बाहरी एजेंसी की जांच रिपोर्ट में सामने आ चुका है, जिसे अप्रैल 2025 में बैंक को सौंपा गया था।
बैंक ने शेयर बाजारों को भेजी एक सूचना में बताया, “हम साफ करना चाहते हैं कि मीडिया रिपोर्टों में जिस 255 करोड़ रुपये की अकाउंटिंग अनियमितता का जिक्र किया जा रहा है,वह किसी नई जांच का हिस्सा नहीं है। यह गड़बड़ी उन निष्कर्षों का हिस्सा है जो अप्रैल 2025 में एक बाहरी स्वतंत्र एजेंसी की ओर से बैंक को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में बताए गए थे।”
बैंक ने आगे कहा कि उसने इस मामले से जुड़ी सभी आवश्यक सूचनाएं पहले ही सार्वजनिक कर दी हैं और इस गड़बड़ी के वित्तीय असर को वित्त वर्ष 2024-25 के ऑडिटेड वित्तीय नतीजों में उचित रूप से दर्शाया गया था, जिन्हें 21 मई 2025 को घोषित किया गया था।
मनीकंट्रोल ने 16 अक्टूबर को एक रिपोर्ट में बताया किया था कि बैंक के रिकॉर्ड में करीब 250 करोड़ रुपये की एक एंट्री “ध्यान देने योग्य” बताई गई है। सूत्रों के मुताबिक, यह एंट्री 2016 की हो सकती है,जो बैंक की ट्रेजरी डेरिवेटिव्स डेस्क के शुरू होने के एक साल बाद की हैं। हालांकि, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की शुरुआती जांच में अभी तक किसी भी धनराशि के गबन या फर्जी कंपनी को ट्रांसफर होने के सबूत नहीं मिले हैं।
सूत्रों के मुताबिक, EOW ने अब तक इस मामले में 6 से 7 लोगों से पूछताछ की है। जिन लोगों से पूछताछ की गई हैं, उनमें बैंक के पूर्व सीईओ सुमंत कथपालिया,पूर्व सीएफओ गोविंद जैन, और पूर्व डिप्टी सीईओ अरुण खुराना शामिल हैं। जांच फिलहाल अकाउंटिंग गड़बड़ियों और प्रोसेस से जुड़ी लापरवाहियों पर केंद्रित है। इसके अलावा, बैंक के मौजूदा ग्लोबल मार्केट्स एंड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस ग्रुप के हेड सिद्धार्थ बनर्जी से भी आने वाले दिनों में पूछताछ की जा सकती है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, जांच लगभग आधे चरण में है, और अक्टूबर के अंत तक इस मामले की गंभीरता और संभावित आपराधिक पहलुओं को लेकर स्पष्ट तस्वीर सामने आ सकती है।
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