LIC अपनी स्ट्रेटेजी में बदलाव करेगी। यह छह दशक से ज्यादा समय तक सरकार की कंपनी रही। स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के बाद इसे नए तरह के नियमों का पालन करना पड़ेगा। इनमें कॉर्पोरेट गवर्नेंस सहित कई दूसरी चीजें शामिल हैं। लिस्टिंग के बाद से इस पर स्टॉक एक्सचेंजों से लेकर इनवेस्टर्स की करीबी नजरें होंगी।
एलआईसी कई बार सरकार के विनिवेश प्रोग्राम को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभा चुकी है। यह सरकार के डूब रहे बैंक को बचाने के लिए भी आगे आई है। अब इसने जरूरत से ज्यादा रिस्क नहीं लेने और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर ज्यादा ध्यान देने का प्लान बनाया है।
LIC न सिर्फ देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है बल्कि यह सबसे बड़ा संस्थागत निवेशक (Institutional Investor) भी है। इसने शेयरों में 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा इनवेस्ट किया है। इसका टोटल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) करीब 41 लाख करोड़ रुपये है। मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया, "एलआईसी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में अपना इनवेस्टमेंट घटाने के बारे में सोच रही है। इनमें सीमेंट, पावर जेनरेशन और पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियां शामिल हैं।"
उन्होंने कहा कि एलआईसी में नया बोर्ड बना है। कंपनी की स्ट्रेटेजी में किसी तरह के बदलाव के लिए बोर्ड की मंजूरी जरूरी होगी। इस बारे में प्रतिक्रिया के लिए एलआईसी को भेजे ईमेल का जवाब नहीं मिला।
इंश्योरेंस रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के निवेश के लिए नियम बनाए हैं। इसके तहत एक लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को अपने निवेशयोग्य कुल सरप्लस का कम से कम 50 फीसदी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में निवेश करना जरूरी है। 15 फीसदी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े एसेट्स में करना पड़ता है। कंपनी बाकी 35 फीसदी फंड का इनवेस्टमेंट वे शेयर, नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर, म्यूचुअल फंड्स, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स सहित अन्य चीजों में करने के लिए आजाद है।
LIC ने 4 मई को अपना आईपीओ लॉन्च किया था। यह इश्यू 9 मई को बंद हुआ था। यह इश्यू करीब तीन गुना सब्सक्राइब हुआ। इस इश्यू में सबसे ज्यादा दिलचस्पी पॉलिसीहोल्डर्स ने दिखाई थी। इसकी वजह उन्हें मिलने वाला डिस्काउंट था। उन्हें प्रति शेयर 60 रुपये का डिस्काउंट मिला था। लेकिन, कंपनी के शेयर 17 मई को कमजोरी के साथ लिस्ट हुए। तब से शेयर लगातार गिर रहे हैं।