डायबिटीज आज के समय में एक ऐसी बीमारी बन चुकी है, जो न सिर्फ उम्रदराज लोगों को, बल्कि युवाओं और बच्चों तक को अपनी चपेट में ले रही है। खराब लाइफस्टाइल, बढ़ता मोटापा, तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। ये बीमारी तब होती है जब शरीर में इंसुलिन का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे खून में ग्लूकोज की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ने लगती है। विशेषज्ञों की मानें तो हर स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम दो साल में एक बार और डायबिटीज से पीड़ित लोगों को हर तीन महीने में ब्लड शुगर टेस्ट जरूर कराना चाहिए।
समय रहते इस बीमारी की पहचान और इलाज बेहद जरूरी है, क्योंकि ये आंखों, किडनी, हार्ट और नर्व सिस्टम तक को नुकसान पहुंचा सकती है। यदि आप ब्लड शुगर के प्रति जागरूक हैं, तो न सिर्फ बीमारी से बचा जा सकता है, बल्कि एक बेहतर और स्वस्थ जीवन भी जिया जा सकता है।
क्या डायबिटीज और ब्लड शुगर एक ही चीज हैं?
अक्सर लोग डायबिटीज और हाई ब्लड शुगर को एक ही समझ लेते हैं, जबकि दोनों में फर्क होता है। ब्लड शुगर यानी खून में मौजूद ग्लूकोज का स्तर, जो हमारी खाने-पीने की आदतों से घटता-बढ़ता रहता है। लेकिन डायबिटीज तब होती है, जब शरीर में इंसुलिन काम करना बंद कर देता है या सही ढंग से काम नहीं करता। ये तब गंभीर हो जाता है जब ब्लड शुगर 200 mg/dl से ऊपर चला जाए।
डायबिटीज किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है, लेकिन मोटापा, कम फिजिकल एक्टिविटी और अनहेल्दी लाइफस्टाइल वाले लोग ज्यादा जोखिम में रहते हैं। खासतौर पर 40 से 60 साल की उम्र वाले लोगों को प्रीडायबिटीज के लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। समय रहते अगर जांच करा ली जाए तो डायबिटीज को बढ़ने से रोका जा सकता है।
कैसे करें सही जांच, और कब?
डॉक्टर्स के अनुसार, फास्टिंग ब्लड शुगर 80 से 100 mg/dl के बीच होना चाहिए। अगर यह 100-125 के बीच है, तो आप प्री-डायबिटिक की कैटेगरी में आते हैं। 126 से ऊपर होते ही खतरे की घंटी बज जाती है। इसके अलावा HbA1c टेस्ट से पिछले 3 महीनों की ब्लड शुगर स्थिति का पता चलता है। अगर HbA1c 5.7% से 6.4% के बीच है तो आप डायबिटीज की दहलीज पर खड़े हैं, और इससे ऊपर जाते ही ये साफ हो जाता है कि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं।
हालांकि डायबिटीज का स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे कंट्रोल में रखना पूरी तरह मुमकिन है। खानपान में सुधार, नियमित व्यायाम और समय पर जांच इसकी। कुछ देसी नुस्खे भी शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी इलाज शुरू न करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।