विटामिन-डी सप्लीमेंट लेना स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी होता है, लेकिन इसे कब और कैसे लेना चाहिए, यह जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। विटामिन-डी एक फैट सॉल्युबल विटामिन है, जिसका मतलब है कि यह शरीर में फैट की मदद से बेहतर तरीके से अवशोषित होता है। इसलिए इसे सुबह के समय, खासकर ब्रेकफास्ट के बाद लेना सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इस वक्त खाना हेल्दी फैट्स से भरपूर होता है, जो विटामिन-डी को शरीर में तेजी से अब्जॉर्ब करने में मदद करता है।
हालांकि सप्लीमेंट लेने का कोई कड़क नियम नहीं है, सुबह विटामिन-डी लेने से मेटाबॉलिज्म भी तेज रहता है जिससे इस विटामिन का फायदा ज्यादा होता है। वहीं सुबह की धूप में बाहर निकलना भी विटामिन-डी स्तर को बढ़ाने के लिए अच्छा माना जाता है। कई लोग रात को भी विटामिन-डी सप्लीमेंट लेते हैं, लेकिन इससे मेलाटोनिन प्रोडक्शन प्रभावित हो सकता है, जिससे नींद में खलल आ सकता है।
डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य होता है, क्योंकि हर व्यक्ति की विटामिन-डी कमी अलग होती है। ब्लड टेस्ट के बाद ही सही खुराक तय की जानी चाहिए, ताकि ज्यादा या कम सेवन से बचा जा सके। विटामिन-डी के साथ मैग्नीशियम और विटामिन K2 की भी आवश्यकता होती है, जो इसके प्रभाव को बेहतर बनाते हैं। विटामिन-डी सप्लीमेंट्स की खुराक अक्सर IU में मापी जाती है और सामान्य में 600-800 IU प्रतिदिन पर्याप्त होती है, मगर कमी ज्यादा होने पर हफ्ते में एक बार डोज बढ़ सकती है।
इसीलिए विटामिन-डी सप्लीमेंट्स लेते समय नियमितता बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि इसे संतुलित स्तर पर लाने में महीनों लग सकते हैं। साथ ही स्वस्थ खान-पान और पर्याप्त धूप लेना भी जरूरी है ताकि हड्डियों और इम्यून सिस्टम की मजबूती बनी रहे। इस तरह सही समय और सही तरीके से विटामिन-डी सप्लीमेंट लेने से आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकते हैं।