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Risk of Miscarriage: इस गुड न्यूज को शुरुआती 3 महीने तक किसी को न बताएं, जानें आखिर क्या है रहस्य

Risk of Miscarriage: शादी के बाद पहली प्रेग्नेंसी न केवल कपल के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए बेहद खुशी की खबर होती है। हालांकि, गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीने (फर्स्ट ट्राइमेस्टर) काफी नाजुक होते हैं, इसलिए इस दौरान घरवालों के अलावा किसी और से यह खुशखबरी साझा करने से बचना चाहिए। इस समय मिसकैरेज का खतरा सबसे अधिक होता है।

अपडेटेड Mar 30, 2025 पर 1:05 PM
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Risk of Miscarriage: गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार का संक्रमण (Infection) भी भ्रूण के लिए घातक साबित हो सकता है।

गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए जीवन का एक खास लेकिन संवेदनशील चरण होता है, जहां उसे न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर गर्भधारण के शुरुआती तीन महीने (फर्स्ट ट्राइमेस्टर) बेहद नाजुक होते हैं, क्योंकि इस दौरान भ्रूण का विकास प्रारंभिक अवस्था में होता है। छोटी-सी लापरवाही भी मिसकैरेज (गर्भपात) का कारण बन सकती है। यही कारण है कि डॉक्टर अक्सर सलाह देते हैं कि पहले तीन महीनों तक गर्भावस्था की खबर सार्वजनिक न करें। हालांकि, कई लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन इसके पीछे ठोस मेडिकल कारण होते हैं।

शोध बताते हैं कि इस दौरान मिसकैरेज की संभावना अधिक होती है, खासतौर पर पहले 6 से 8 हफ्तों के बीच। हार्मोनल असंतुलन, आनुवंशिक दोष और स्वास्थ्य समस्याएं मिसकैरेज की वजह बन सकती हैं। इसलिए, इस नाजुक समय में विशेष देखभाल जरूरी होती है।

कब तक रहता है मिसकैरेज का सबसे ज्यादा खतरा?


गर्भधारण के पहले 12 हफ्तों के भीतर मिसकैरेज की संभावना सबसे अधिक होती है। शोध बताते हैं कि 6 से 8 सप्ताह के बीच गर्भपात की संभावना चरम पर होती है। ये वो समय होता है जब भ्रूण का विकास प्रारंभिक अवस्था में होता है और किसी भी अनुवांशिक या जैविक समस्या की संभावना अधिक रहती है। इसीलिए, शुरुआती तीन महीने बेहद एहतियात बरतने की जरूरत होती है।

मिसकैरेज के प्रमुख कारण

1. आनुवांशिक दोष (Genetic Defects)

गर्भपात के पीछे सबसे बड़ा कारण भ्रूण में आनुवंशिक समस्याएं होती हैं। जब भ्रूण में किसी तरह की अनियमितता होती है, तो शरीर उसे खुद ही रिजेक्ट कर देता है। ये आमतौर पर गर्भधारण के पहले कुछ हफ्तों में होता है, जब भ्रूण के प्रमुख अंग विकसित हो रहे होते हैं।

2. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)

गर्भावस्था के दौरान हार्मोन का सही संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी होता है। प्रोजेस्टेरोन और प्रोलैक्टिन जैसे हार्मोन गर्भाशय को भ्रूण के लिए अनुकूल बनाते हैं। यदि इनका स्तर कम हो जाए, तो गर्भाशय भ्रूण को बनाए रखने में असमर्थ हो सकता है, जिससे मिसकैरेज हो सकता है।

3. हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज

अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, या किसी अन्य मेडिकल कंडीशन की समस्या हो, तो ये भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है। इन समस्याओं की वजह से प्लेसेंटा (गर्भनाल) ठीक से काम नहीं कर पाती, जिससे भ्रूण को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

4. इंफेक्शन का असर

गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार का संक्रमण (Infection) भी भ्रूण के लिए घातक साबित हो सकता है। यदि महिला को बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन हो जाए, तो या गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में बाधा डाल सकता है और मिसकैरेज की संभावना बढ़ सकती है।

प्रेग्नेंसी छुपाने की दी जाती है सलाह?

बहुत से लोग मानते हैं कि पहले तीन महीनों में प्रेग्नेंसी की खबर न बताने की परंपरा केवल अंधविश्वास है, लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं। चूंकि पहले 12 हफ्ते गर्भपात के लिहाज से सबसे नाजुक होते हैं, इसलिए यदि कोई जटिलता उत्पन्न होती है, तो महिला मानसिक रूप से तैयार नहीं होती। यही वजह है कि डॉक्टर और एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि प्रेग्नेंसी के पहले ट्राइमेस्टर के बाद ही इसे सार्वजनिक किया जाए।

कैसे करें शुरुआती महीनों में खुद की देखभाल?

संतुलित आहार लें – हरी सब्जियां, प्रोटीन, फोलिक एसिड और आयरन युक्त आहार को प्राथमिकता दें।

तनाव से बचें – अत्यधिक तनाव लेने से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो मिसकैरेज का कारण बन सकता है।

नियमित हेल्थ चेकअप कराएं – डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय-समय पर अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट करवाएं।

कैफीन और शराब से परहेज करें – कैफीन और एल्कोहल का अधिक सेवन भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है।

भरपूर आराम करें – ज्यादा मेहनत और तनाव लेने से बचें, क्योंकि यह गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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