Hyperpigmentation: चेहरे पर फिर से लाएं निखार, पिगमेंटेशन से छुटकारा दिलाएंगे ये नुस्खे
Hyperpigmentation: गर्मियों के मौसम में कुछ वजहों से हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या और बढ़ सकती है, जिससे त्वचा के कुछ हिस्से सामान्य से अधिक काले दिखने लगते हैं। यदि आपको पहले से ही यह परेशानी है, तो गर्मियों में विशेष सावधानी बरतना जरूरी है। आइए जानें इसके कारण और इससे बचाव के प्रभावी उपाय
Hyperpigmentation: हाइपरपिग्मेंटेशन कम करने के लिए स्किन केयर पर ध्यान देना जरूरी है
गर्मियों का मौसम जहां एक ओर सूरज की रौशनी और छुट्टियों की मस्ती लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर ये त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं को भी जन्म देता है। इन समस्याओं में से एक आम और गंभीर समस्या है हाइपरपिग्मेंटेशन। इस स्थिति में त्वचा का कुछ हिस्सा सामान्य रंग से अधिक गहरा दिखाई देने लगता है, जिससे चेहरे, गर्दन और हाथों जैसे खुले अंगों पर दाग-धब्बे या पैच नजर आने लगते हैं। गर्मियों में तेज धूप, पसीना, गंदगी और गलत स्किन केयर प्रोडक्ट्स मिलकर इस समस्या को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। खासतौर पर सूरज की हानिकारक UV किरणें मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ाकर त्वचा की रंगत को असमान बना देती हैं।
ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि हम इस समस्या को समय रहते समझें और इससे बचने के लिए जरूरी कदम उठाएं। आइए जानें गर्मियों में हाइपरपिग्मेंटेशन क्यों बढ़ता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
क्या है हाइपरपिग्मेंटेशन?
हाइपरपिग्मेंटेशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा में मेलेनिन का निर्माण सामान्य से ज्यादा होने लगता है। ये मेलेनिन स्किन के रंग को गहरा बना देता है, जिससे काले-भूरे धब्बे दिखने लगते हैं। गर्मी में धूप, पसीना और स्किन केयर की लापरवाही मिलकर इसे और गंभीर बना सकते हैं।
सूरज की किरणें बनती हैं सबसे बड़ा कारण
गर्मियों में तेज धूप के साथ UVA और UVB किरणें त्वचा की अंदरूनी परत तक पहुंच जाती हैं और मेलानोसाइट्स को एक्टिव कर देती हैं। ये कोशिकाएं ज्यादा मेलेनिन बनाने लगती हैं, जिससे स्किन का रंग असमान हो जाता है और पिग्मेंटेशन उभरने लगता है।
पसीना और गंदगी भी बढ़ाते हैं समस्या
गर्मियों में पसीने के कारण स्किन के पोर्स बंद हो जाते हैं। साथ ही, गंदगी और बैक्टीरिया भी जम जाते हैं, जिससे त्वचा पर ब्लैकहेड्स, एक्ने और हाइपरपिग्मेंटेशन जैसी समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
हार्मोनल बदलाव का असर
महिलाओं में गर्मियों के दौरान हार्मोनल असंतुलन के चलते मेलास्मा (चेहरे पर भूरे धब्बे) देखने को मिलता है। प्रेग्नेंसी, मासिक धर्म या बर्थ कंट्रोल पिल्स इसका कारण हो सकते हैं, जो गर्मियों में स्किन की संवेदनशीलता को और बढ़ा देते हैं।
स्किन की नमी घटने से भी बढ़ती है दिक्कत
धूप और गर्मी के असर से त्वचा डिहाइड्रेट हो जाती है। इससे डेड स्किन सेल्स का जमाव होता है, जो त्वचा की रंगत को असमान बना देता है और हाइपरपिग्मेंटेशन का कारण बनता है।
गलत स्किन केयर प्रोडक्ट्स से बचें
कुछ स्किन केयर प्रोडक्ट्स में हार्ड केमिकल्स और अल्कोहल मौजूद होते हैं, जो त्वचा को और नुकसान पहुंचाते हैं। खासकर गर्मियों में ऐसे उत्पादों से हाइपरपिग्मेंटेशन और बढ़ सकता है।
हाइपरपिग्मेंटेशन से बचने के आसान उपाय
रोजाना सनस्क्रीन लगाएं
SPF 30+ या 50+ वाला सनस्क्रीन हर 3-4 घंटे में लगाएं। घर के अंदर भी इसका इस्तेमाल जरूरी है क्योंकि UV किरणें खिड़कियों से भी अंदर आ सकती हैं।
एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार लें
विटामिन-C और E से भरपूर फल जैसे संतरा, आंवला, नींबू, बादाम और एवोकाडो त्वचा को अंदर से पोषण देकर मेलेनिन की मात्रा को संतुलित करते हैं।
त्वचा को हाइड्रेट रखें
एलोवेरा जेल, हायलूरोनिक एसिड या कोकोनट ऑयल युक्त मॉइश्चराइजर गर्मियों में त्वचा की नमी को बनाए रखने में मदद करते हैं।
मेडिकल ट्रीटमेंट से राहत
अगर पिग्मेंटेशन अधिक हो गया है तो डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह लेकर केमिकल पील, माइक्रोडर्माब्रेशन या लेजर थेरेपी कराई जा सकती है।
प्राकृतिक उपाय भी कारगर
मुल्तानी मिट्टी और गुलाबजल का फेसपैक, हल्दी-दही का मास्क या पपीता और शहद का प्रयोग स्किन को साफ, ब्राइट और पिग्मेंटेशन मुक्त बनाने में सहायक हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।