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Women’s Day 2025: मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी कर सकती है बड़े खतरे पैदा, जानें इससे बचने के आसान उपाय

Women’s Day 2025: महिला दिवस केवल उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए नहीं, बल्कि महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने का भी अवसर है। तेज रफ्तार जिंदगी और बढ़ती जिम्मेदारियों के बीच महिलाएं अक्सर खुद को नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे वे तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं का शिकार हो सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर वे खुशहाल और संतुलित जीवन जी सकती हैं

अपडेटेड Mar 05, 2025 पर 1:13 PM
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Women’s Day 2025: महिलाओं की खुशी और सफलता के लिए मेंटल हेल्थ क्यों है सबसे जरूरी?

महिला दिवस सिर्फ उनके अधिकारों और सफलताओं का जश्न मनाने का दिन नहीं है, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने का भी एक बेहतरीन अवसर है। मानसिक स्वास्थ्य किसी भी महिला के जीवन का अहम हिस्सा होता है, क्योंकि इसका सीधा असर न सिर्फ उनके व्यक्तिगत जीवन पर पड़ता है, बल्कि उनके परिवार और समाज पर भी होता है। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में महिलाएं घर और काम की जिम्मेदारियों के बीच खुद को भूल जाती हैं, जिससे वे तनाव, चिंता और अवसाद (डिप्रेशन) जैसी मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकती हैं।

लेकिन अगर वे अपने मानसिक स्वास्थ्य का सही तरीके से ध्यान रखें, तो वे खुशहाल और तनावमुक्त जीवन जी सकती हैं। इस महिला दिवस पर जानिए मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी से होने वाले खतरे और इसे मजबूत बनाए रखने के आसान उपाय

महिलाओं की मानसिक सेहत पर रिसर्च क्या कहती है?


अध्ययनों के मुताबिक, महिलाओं का मस्तिष्क पुरुषों की तुलना में अधिक सोचने की प्रवृत्ति रखता है। यही वजह है कि वे तनाव, अवसाद (डिप्रेशन) और PTSD (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) जैसी मानसिक समस्याओं की चपेट में जल्दी आ जाती हैं। इसके पीछे सामाजिक और सांस्कृतिक कारक भी अहम भूमिका निभाते हैं। महिलाओं को जीवनभर कई तरह की चुनौतियों से गुजरना पड़ता है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए, उन्हें अपनी मेंटल हेल्थ पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

डिप्रेशन

अवसाद यानी डिप्रेशन महिलाओं में सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इसके कई कारण हो सकते हैं—जैसे सामाजिक दबाव, परिवार और करियर की जिम्मेदारियां, हार्मोनल बदलाव और आत्म-संदेह। महिलाएं अक्सर अपनी भावनाओं को छुपाकर रखती हैं, जिससे समस्या और गंभीर हो जाती है। समय पर इलाज न मिलने से डिप्रेशन उनके जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। सही काउंसलिंग और आत्म-देखभाल से इसे रोका जा सकता है।

चिंता और तनाव

महिलाओं में एंग्जायटी (चिंता) की समस्या पुरुषों की तुलना में अधिक देखी जाती है। वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने के बजाय अपने भीतर ही दबा लेती हैं, जिससे मानसिक तनाव बढ़ जाता है। अधिक चिंता न सिर्फ मेंटल हेल्थ पर असर डालती है, बल्कि इसका असर नींद, हृदय और पाचन तंत्र पर भी पड़ सकता है। चिंता को कम करने के लिए मेडिटेशन, एक्सरसाइज और पॉजिटिव सोच अपनाना बेहद जरूरी है।

शारीरिक स्वास्थ्य पर असर

क्या आप जानते हैं कि मानसिक तनाव केवल दिमाग तक सीमित नहीं रहता, बल्कि ये धीरे-धीरे शरीर को भी प्रभावित करता है? गर्भावस्था, हार्मोनल असंतुलन, माइग्रेन, पेट दर्द और हृदय संबंधी समस्याएं महिलाओं में मानसिक तनाव के कारण अधिक देखी जाती हैं। महिलाएं अक्सर अपने परिवार और काम में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि अपनी सेहत को नज़रअंदाज कर देती हैं, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति बिगड़ सकती है।

आत्महत्या के विचार और भावनात्मक अस्थिरता

अगर महिलाओं की मानसिक सेहत को गंभीरता से न लिया जाए, तो वे गहरे अवसाद में जा सकती हैं और आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने जैसे खतरनाक विचारों से घिर सकती हैं। मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है ताकि महिलाएं इन नकारात्मक भावनाओं से बच सकें और अपनी जिंदगी को खुशहाल बना सकें। ऐसे समय में परिवार और दोस्तों का सहयोग भी बहुत मायने रखता है।

सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों पर असर

जब कोई महिला मानसिक तनाव से गुजरती है, तो इसका सीधा असर उसके रिश्तों, परिवार और कार्यक्षेत्र पर पड़ता है। तनावग्रस्त रहने से महिला चिड़चिड़ी हो सकती है, जिससे उसके संबंध प्रभावित होते हैं। इसके अलावा, उसका आत्मविश्वास भी कमजोर हो सकता है, जिससे वो अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती।

कैसे रखें मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल?

खुद को प्राथमिकता दें: अपनी जरूरतों को समझें और समय-समय पर खुद के लिए ब्रेक लें।

नियमित व्यायाम करें: योग और मेडिटेशन मानसिक शांति लाने में मदद करते हैं।

पर्याप्त नींद लें: रोज़ाना 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है।

सकारात्मक सोच अपनाएं: खुद पर भरोसा रखें और हमेशा अच्छी बातें सोचें।

मदद लेने से न हिचकिचाएं: जरूरत पड़ने पर किसी विशेषज्ञ से सलाह लेने में संकोच न करें।

महिलाओं की मानसिक सेहत सिर्फ उनका निजी मामला नहीं, बल्कि पूरे परिवार और समाज का विषय है। यदि हम उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगे, तो वे अधिक सशक्त और खुशहाल जीवन जी सकेंगी।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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MoneyControl News

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First Published: Mar 05, 2025 1:12 PM

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