झुग्गीबस्ती धारावी बन पाएगी मुंबई का चमकता चेहरा? Adani Group को सुलझानी होंगी ये तीन दिक्कतें

Dharavi Redevelopment Project News: डीएलएफ को गुड़गांव बसाने में दशकों लग गए, हीरानंदानो के मुंबई में पोवाई बसाने में दस साल और पुणे में मगरपट्टा को वर्षों लग गए। हालांकि धारावी में अदाणी को महीनों ही लगेंगे। अदाणी ग्रुप के पास स्लम्बई से वापस मुंबई बनाने का मौका है। एक प्रकार से अदाणी ग्रुप के पास कुछ ऐसा करने का मौका है, जो अब तक कभी नहीं हो पाया है

अपडेटेड Dec 28, 2023 पर 8:10 PM
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haravi Redevelopment Project 30 साल का हो सकता है। इस प्रोजेक्ट के तहत घर, ऑफिस, सड़कें, स्कूल और अस्पताल इत्यादि के साथ एक नया शहर ही बसाया जाएगा।

Dharavi Redevelopment Project News: अदाणी ग्रुप के पास कुछ ऐसा करने का मौका है, जो अब तक कभी नहीं हो पाया है। देश का सबसे बड़ा स्लम मुंबई के धारावी में है और इसे चमकाने की वर्षों से कोशिशें हो रही हैं लेकिन अभी तक कोई भी योजना सफल नहीं हो पाई है। हालांकि अब अदाणी ग्रुप और बीजेपी ने ऐसा निश्चित माहौल तैयार किया है, जैसा पहले कभी नहीं था। इससे पहले गुड़गांव जैसे कई बड़े टाउनशिप प्रोजेक्ट्स शहरों के बाहर होते थे लेकिन इस बार अदाणी ग्रुप के पास शहर के ठीक बीच में ग्रैंड सिटी बनाने का मौका है।

डीएलएफ को गुड़गांव बसाने में दशकों लग गए, हीरानंदानो के मुंबई में पोवाई बसाने में दस साल और पुणे में मगरपट्टा को वर्षों लग गए। हालांकि धारावी में अदाणी को महीनों ही लगेंगे। अदाणी ग्रुप के पास स्लम्बई से वापस मुंबई बनाने का मौका है।

कितना बड़ा है Dharavi Redevelopment Project


धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट 30 साल का हो सकता है। इस प्रोजेक्ट के तहत घर, ऑफिस, सड़कें, स्कूल और अस्पताल इत्यादि के साथ एक नया शहर ही बसाया जाएगा। यहां के झुग्गीवासियों को फ्री में घर देने के बाद भी यह लगभग निश्चित है कि अदाणी ग्रुप के पास 6 करोड़ स्क्वॉयर फीट जमीन बचेगी जिसे यह खुले बाजार में बेच सकती है। इसकी वैल्यू की बात करें तो आस-पास के इलाकों के भाव के औसतन 35000 रुपये वर्ग फीट के हिसाब से धारावी रीडेवलपेमेंट प्रोजेक्ट करीब 2.10 लाख करोड़ रुपये का बैठ रहा है। वहीं रेवेन्यू की क्षमता तो बहुत ही अधिक है।

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ये तीन दिक्कतें हैं प्रोजेक्ट में और ये हैं समाधान

धारावी को संवारने में कई मुद्दों को सुलझाना होगा। सबसे पहला तो यही है कि यह शहर के बीच में है और यहां जमीन के मालिकाना हक और एलिबिजिलिटी से जुड़े मुद्दे काफी जटिल हैं जिन्हें निपटाना होगा। यहां की बड़ी आबादी के लिए नेता बहुत दूर नहीं है तो सेटलमेंट भी आसान या सस्ता नहीं होगा। इससे पहले के कुछ प्रोजेक्ट की लागत में यही सेटलमेंट कॉस्ट विलेन बन गई थी जो प्रोजेक्ट के कॉस्ट से भी अधिक हो गई थी लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी बदली हुई है क्योंकि धारावी के रीडेवलपमेंट के लिए राजनीतिक ताकत काफी मजबूत है।

दूसरी दिक्कत यहां लोगों को आकर्षित करने की होगी। एक तरह से यह पाली हिल के एकदम विपरीत है जैसे कि पाली हिल का अच्छा-खासा स्टेटस है जबकि धारावी को लेकर लोगों का सेंटिमेंट बहुत अच्छा नहीं है लेकिन इसके पड़ोस में ही ब्रांद्रा है जहां बॉलीवुड सुपरस्टार्स रहते हैं। हालांकि धारावी के साथ एक पॉजिटिव ये है कि अहम स्थानों से यह नजदीक है और कनेक्टिविटी भी अच्छी है। इसके अलावा यहां खरीदारी में भी फायदा मिलेगा क्योंकि सरकार ने यहां स्टाम्प ड्यूटी से राहत दी है। धारावी में घरों और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की पहली बिक्री पर कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं है लेकिन धारावी के बाहर यह 6 फीसदी है।

तीसरी दिक्कत कैश फ्लो को लेकर है। रेवेन्यू आने से पहले ही इसे संवारने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। इसका मतलब हुआ कि भारी कर्ज लेना होगा। इसके बाद मिक्स्ड-यूज डेवलपमेंट की योजना है। घर खरीदारों से एडवांस में पैसे लेकर उनके घर बनाए जा सकते हैं लेकिन ऑफिस जैसी जगहें तो पूरा होने के बाद ही बिकते हैं। इसका मतलब है और अधिक भारी-भरकम कर्ज लेना होगा। अब यहां उम्मीद ये है कि कर्ज की लागत 10 साल के गवर्नमेंट बॉन्ड के यील्ड की तुलना में 2 फीसदी से भी कम होगी। इसके अलावा मोरेटोरियम पीरियड होगा। हालांकि यहां एक रिस्क ये है कि टाइमलाइन में कोई भी देरी महंगी पड़ सकती है।

कुल मिलाकर धारावी सिर्फ एक हाउसिंग प्रोजेक्ट या इंफ्रा प्रोजेक्ट नहीं है बल्कि यह बड़ी संख्या में लोगों को पूरी तरह से योजना बनाकर तैयार एक शहर में शिफ्ट करने की है और झुग्गीवासियों के अपने फ्री अपार्टमेंट बेचने या किराए पर देकर फिर एक नया स्लम बनाने के पैटर्न को तोड़ने की है।

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First Published: Dec 28, 2023 8:10 PM

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