Aditya L1 Launch: सूर्य मिशन के लॉन्च में अहम भूमिका निभाएगा, ISRO का लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम, जानें क्या है इसका काम

Aditya L1 Launch: लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम केंद्र (LPSC) 1987 में अपनी स्थापना के बाद से ISRO के सभी अंतरिक्ष अभियानों में सफलता का एक सिद्ध केंद्र रहा है। लिक्विड और क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं की रीढ़ रहे हैं, जो PSLV और GSLV रॉकेट दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

अपडेटेड Sep 01, 2023 पर 7:39 PM
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Aditya L1 Launch: सूर्य मिशन के लॉन्च में अहम भूमिका निभाएगा, ISRO का लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम (PHOTO-ISRO)

देश के पहले सूर्य मिशन (Moon Mission) ‘आदित्य एल1’ (Aditya L1) को अंजाम देने में यहां ISRO की एक प्रमुख ब्रांच की तरफ से विकसित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम (liquid propulsion systems) अहम भूमिका निभाएगा। सूरज के अध्ययन के लिए सैटेलाइट शनिवार को श्रीहरिकोटा से विश्वसनीय रॉकेट PSLV के जरिए लॉन्च किया जाएगा। सैटेलाइट को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर संबंधित प्वाइंट ‘L1’ तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।

लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम केंद्र (LPSC) 1987 में अपनी स्थापना के बाद से ISRO के सभी अंतरिक्ष अभियानों में सफलता का एक सिद्ध केंद्र रहा है। लिक्विड और क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं की रीढ़ रहे हैं, जो PSLV और GSLV रॉकेट दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसके अलावा, LPSC की तरफ से विकसित ‘लिक्विड अपोजी मोटर’ भारत की प्रमुख अंतरिक्ष उपलब्धियों में सैटेलाइट/स्पेस क्राफ्ट प्रोपल्शन में महत्वपूर्ण रही है, चाहे वह तीनों चंद्रयान मिशन हों या 2014 का मंगल मिशन।


LPSC के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए के अशरफ ने PTI से कहा, "अब हम ‘आदित्य एल1’ मिशन-आदित्य अंतरिक्ष यान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसमें LAM (लिक्विड अपोजी मोटर) नाम का एक बहुत ही दिलचस्प, अत्यंत उपयोगी थ्रस्टर है, जो 440 न्यूटन का ‘थ्रस्ट’ प्रदान करता है।’’

उन्होंने कहा कि आदित्य अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित ‘लैग्रेंज’ ऑर्बिट में स्थापित करने में LAM काफी मददगार होगी।

आदित्य-एल1 को सूर्य परिमंडल के रिमोट ऑब्जर्वेशन और L1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट) पर सोलर विंड के वास्तविक अवलोकन के मकसद से डिजाइन किया गया है। इसे इसरो की तरफ से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) C57 के जरिए लॉन्च किया जाएगा।

जब प्रक्षेपण यान का काम खत्म हो जाएगा, तो LAM आदित्य अंतरिक्ष यान के प्रोपल्शन का काम संभाल लेगी।

LPSC की विकसित LAM अत्यधिक विश्वसनीय है, और इसका 2014 में मंगल ग्रह के अध्ययन से संबंधित ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’ (MOM) के दौरान 300 दिन तक निष्क्रिय रहने के बाद सक्रिय होने का प्रभावशाली रिकॉर्ड है।

LPSC के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने PTI से कहा, "उस समय यह एक तरह का आश्चर्य था।"

उन्होंने कहा कि मॉम (मंगल मिशन) की तरह ही आदित्य मिशन में LAM 125-दिन की उड़ान के ज्यादातर समय निष्क्रिय स्थिति में रहेगी।

Aditya को L1 प्वाइंट तक ले जाएगी LAM

वैज्ञानिक ने कहा, "LAM की भूमिका अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज प्वाइंट तक ले जाने की है। LAM थ्रस्टर का इस्तेमाल पूरी तरह से प्रोपल्शन के लिए किया जाता है। इसमें कोई ‘ब्रेकिंग’ शामिल नहीं है, क्योंकि हमें कोई ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं करनी है।"

मेन LAM के अलावा, LPSC ने आठ की संख्या में 22-न्यूटन थ्रस्टर और चार की संख्या में 10-न्यूटन थ्रस्टर की सप्लाई की है। जब LAM का इस्तेमाल ऑर्बिटल करेक्शन के लिए किया जाता है, तो ऊंचाई परिवर्तन के लिए छोटे थ्रस्टर का इस्तेमाल किया जाता है।

आदित्य मिशन में PSLV उड़ान के दूसरे और चौथे चरण, जिन्हें PS-2 और PS-4 के रूप में जाना जाता है, में पूरी तरह से एलपीएससी की तरफ से सप्लाई की जाती है।

अशरफ ने कहा, "इसके अलावा, LPSC की तरफ से SITVC (सेकंडरी इंजेक्शन थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल) और RCS (रोल कंट्रोल सिस्टम) जैसे कंट्रोल सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित की गई हैं और प्रक्षेपण यान के लिए इनकी सप्लाई की गई है।'

SITVC सिस्टम वो है, जो PSLV का ऑपरेशन मैनज करता है और RCS प्रक्षेपण यान को इसके नियोजित ट्रेजेक्टरी पर बनाए रखने में मदद करने के लिए बाहरी गड़बड़ी को कम करती है।

अशरफ ने कहा कि सूर्य मिशन की सफलता के लिए पीएस2 और पीएस4 का प्रदर्शन बहुत महत्वपूर्ण है।

एलपीएससी ने प्रक्षेपण यान के लिए कई प्रवाह नियंत्रण घटकों की भी आपूर्ति की है।

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अशरफ ने कहा, 'किसी भी प्रणाली में कोई भी छोटी सी समस्या इस पूरे मिशन के लिए बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। इसलिए हम प्रत्येक प्रणाली को वितरित करने में अत्यधिक सावधानी बरत रहे हैं। जहां तक ​​​​आदित्य एल1 मिशन का सवाल है, सभी थ्रस्टर्स बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हम बाधामुक्त संचालन के साथ 100 प्रतिशत प्रदर्शन सुनिश्चित कर रहे हैं।'

इन वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास बढ़ाने वाली बात यह है कि इसके पास सिद्ध तकनीक है जिसका उपयोग आदित्य मिशन में किया जा रहा है।

यह PSLV का 59वां मिशन है और अब तक के लगभग सभी अभियानों में तकनीक ने बिना किसी गलती के काम किया है।

वैज्ञानिक ने कहा, ‘‘सैटेलाइट थ्रस्टर्स सभी सैटेलाइट मिशन के लिए खुद को साबित करने की क्षमता से लैस हैं। इसलिए हम आश्वस्त हैं।’’

भले ही आदित्य अंतरिक्ष यान सूर्य का अध्ययन करने जाएगा, लेकिन तापमान परिवर्तन या उपयोग की जाने वाली चीजों की सुरक्षा के बारे में चिंता करने वाली कोई बात नहीं है।

ISRO के एक अधिकारी ने कहा, 'तापमान अंतरिक्ष के तापमान के समान है।'

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