Agnipath Scheme: अग्निवीर स्कीम में होंगे बड़े बदलाव! चार साल से ज्यादा की सर्विस, 'परमानेंट' करने की भी मांग
Agnipath Scheme Survey: इसमें एक बड़ी बात ये भी कही गई है कि ऐसा देखने कि मिला है कि अग्निवीरों का ध्यान ओवरऑल ट्रेनिंग के बजाय रेटेंशन टेस्ट यानि परमानेंट होने के लिए जो टेस्ट देना पड़ता है, उस पर रहता है। ये भी देखा गया है कि स्कीम के लिए ज्यादा आवेदन शहरी इलाकों से आ रहे हैं
Agnipath Scheme: अग्निवीर स्कीम में होंगे बड़े बदलाव! चार साल से ज्यादा की सर्विस (FILE PHOTO)
अग्निपथ योजना जब से लागू हुई है, तभी से चर्चाओं में है। लोकसभा चुनावों के बाद एक बार फिर सेना में भर्ती की ये स्कीम खबरों में है। ऐसा पता चला है कि अग्निपथ योजना में कुछ बदलावों पर चर्चा चल रही है। इन बदलावों में अग्निवीरों का ट्रेनिंग पीरियड बढ़ाने और 25% फीसदी जवानों को परमानेंट करने के नियम भी शामिल हैं। ये सुझाव सेना की तरफ से किए गए एक इंटरनल सर्वे पर बेस्ड हैं, जिसमें तीनों सेनाओं से फीडबैक लिया गया था। हालांकि, सेना ने आधिकारिक तौर पर अभी तक केंद्र को ये सिफारिशें नहीं भेजी हैं और इस पर सिक्योरिटी फोर्स अब भी चर्चा कर रही हैं।
Indian Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेना के भीतर जो चर्चा चल रही है, उसमें सबसे बड़ा मुद्दा अग्निवीर सैनिक को परमानेंट करने का है। फिलहाल ये नियम है कि केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही आगे सेना में परमानेंट किया जाता है।
60 से 70 फीसदी अग्निवीर हों परमानेंट
अब जिस बड़े बदलाव के कयास लगाए जा रह हैं, उसमें माना जा रहा है कि इस 25 प्रतिशत के आंकड़े को बढ़ा कर 60 से 70 फीसदी किया जाए। इसके अलावा स्पेशल फोर्स समेत टेक्निकल और एक्सपर्ट सैनिकों को मिलाकर ये 75 प्रतिशत हो जाए। यानि ज्यादा अग्निवीरों को परमानेंट किया जाए।
एक अधिकारी ने कहा, "सशस्त्र बलों में ऐसी क्वालिटी नहीं दिख रही है, जैसी कि होनी चाहिए। इसलिए रिटेंशन रेट बढ़ाने से इस तरह के नतीजों की उम्मीद है।" उन्होंने ये भी कहा कि दूसरी सेनाओं में कम से कम 50 प्रतिशत अग्निवीरों को बरकरार रखने यानि परमानेंट करने पर भी चर्चा चल रही है।
ट्रेनिंग पीरियड बढ़ाने की सिफारिश
अधिकारी ने कहा, इसका मकसद कंपटीशन के बजाय आपसी संबंध और एक-दूसरे को साथ लेकर चलने की भावना को बढ़ाना है। अधिकारी ने कहा, "एक साथ लड़ने के लिए अच्छे सौहार्द और रेजिमेंटल भावना वाले सैनिकों को रखना में ही संगठन का बड़ा फायदा है।"
सेना में अग्निपथ योजना की घोषणा से पहले सैनिकों के लिए ट्रेनिंग पीरियड 37 से 42 हफ्ते के बीच था। सेना से मिले फीडबैक के अनुसार, अग्निवीरों के लिए इस ट्रेनिंग पीरियड को घटाकर 24 हफ्ते करने से उनकी ओवरऑल ट्रेनिंग पर भी सीधा असर पड़ रहा है।
अग्निवीर को भी मिले पूर्व सैनिक का दर्जा
सेना इस बात पर चर्चा कर रही है कि अग्निवीरों के लिए ट्रेनिंग पीरियड को भी उतना ही कर दिया जाए, जो पहले किसी भी रेगुलर सैनिक के लिए होता था। जबकि सर्विस पीरियड को भी मौजूदा चार सालों से बढ़ाकर लगभग सात साल किया जाए, ताकि अग्निवीरों को भी ग्रेच्युटी और पूर्व सैनिक (ESM) का दर्जा दिया जा सके।
अगर ये बदलाव लागू किया जाता है, तो अग्निवीरों को भी वो लाभ मिल पाएंगे, जो किसी पूर्व सैनिक को मिलते हैं। जिन लोगों को परमानेंट किया जाएगा उनके पेंशन कैलकुलेशन में उन सात साल को भी जोड़ा जाएगा, जब उन्होंने अग्निवीर स्कीम के तहत सर्विस दी है।
दूसरे सुझावों में ग्रेजुएट युवाओं को तकनीकी सर्विस के लिए भर्ती करने को भी कहा गया है।
टेक्निकल सर्विस के लिए भर्ती पर जोर
एक अधिकारी ने कहा, “टेक्निकल सर्विस के लिए ज्यादा सीनियर टेक्निकल जवानों की जरूरत होती है। अब अग्निपथ ही भर्ती की एकमात्र योजना है।" उन्होंने ये भी कहा कि अगर भर्ती नहीं की गई, तो 2035 तक कई सीनियर पोस्ट खाली हो जाएंगी।
जिन सुझावों पर चर्चा की जा रही है, उनमें ये भी शामिल है कि अग्निवीरों की सीनियरिटी को भी ध्यान में रखा जाए और उन्हें पैरामिलिट्री फोर्स में नए सिरे से भर्ती करने के बजाए, उनकी सीनियरिटी के हिसाब से उन्हें सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स यानि CAPF में शामिल किया जाए।
क्या है अग्निपथ योजना?
इसमें एक बड़ी बात ये भी कही गई है कि ऐसा देखने कि मिला है कि अग्निवीरों का ध्यान ओवरऑल ट्रेनिंग के बजाय रेटेंशन टेस्ट यानि परमानेंट होने के लिए जो टेस्ट देना पड़ता है, उस पर रहता है। ये भी देखा गया है कि स्कीम के लिए ज्यादा आवेदन शहरी इलाकों से आ रहे हैं।
Covid-19 महामारी के कारण सैन्य भर्ती में दो साल का गैप आ गया था, जिसके बाद जून 2022 में अग्निपथ योजना लाई गई थी। इसका मकसद चार साल के लिए तीनों- जल, थल और वायु सेना में जवानों की भर्ती करना था।
चार साल की सर्विस पूरी होने के बाद उनमें से 25% जवान जरूरत और योग्यता के आधार पर परमानेंट होने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
रेगुलर सर्विस वाले सैनिक और अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिक के बीच सबसे बड़ा अंतर ये है कि रिटायरमेंट के बाद फुल टाइम जवान को पेंशन मिलेगी, जबकि एक अग्निवीर अपनी चार साल में सर्विस खत्म हो जाने के बाद भी इसका हकदार नहीं है।