Assam: असम में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई जारी, अब तक 3000 से अधिक लोग गिरफ्तार, पढ़ें 10 बड़ी बातें

Assam Child Marriage Crackdown: असम में बाल विवाह में कथित संलिप्तता के लिए अभी तक 3,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वे अस्थायी जेलों में बंद हैं जिसके कारण महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं और अपने परिवार के कमाने वाले इकलौते सदस्यों की गिरफ्तारी का विरोध कर रही हैं। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा कहा है कि राज्य में 2026 के विधानसभा चुनाव तक मुहिम जारी रहेगी

अपडेटेड Feb 12, 2023 पर 5:23 PM
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Assam Child Marriage Crackdown: 3 फरवरी को असम पुलिस ने बाल विवाह के खिलाफ राज्यव्यापी कार्रवाई अभियान शुरू की थी

Assam Child Marriage Crackdown: असम में विपक्ष की आलोचना के बीच बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई जारी है। राज्य में बाल विवाह के खिलाफ जारी कार्रवाई में अब तक 3,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। असम में बाल विवाह में कथित संलिप्तता के लिए अभी तक 3,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वे अस्थायी जेलों में बंद हैं जिसके कारण महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं और अपने परिवार के कमाने वाले इकलौते सदस्यों की गिरफ्तारी का विरोध कर रही हैं।

3 फरवरी को असम पुलिस ने बाल विवाह के खिलाफ राज्यव्यापी कार्रवाई अभियान शुरू की थी। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा कहा है कि राज्य में 2026 के विधानसभा चुनाव तक मुहिम जारी रहेगी।

पढ़ें, 10 बड़ी बातें


- असम में बाल विवाह में शामिल होने के आरोप में हाल में 3,000 से अधिक व्यक्तियों की गिरफ्तारी ने नागरिक समाज को दो धड़ों में बांट दिया है। एक वर्ग का कहना है कि महज कानून के बल पर इस समस्या को हल नहीं किया जा सकता है। जबकि कुछ का तर्क है कि कम से कम अब कानून पर चर्चा की जा रही है और इससे इस कुरीति पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। मानवाधिकार वकील देबस्मिता घोष ने कहा कि एक बार शादी हो जाने के बाद कानून इसे वैध मानता है और ऐसी शादी से हुए बच्चों को सभी कानूनी अधिकार मिलते हैं।

- देबस्मिता घोष ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि कानून कहता है कि बाल विवाह तभी अमान्य है जब वह व्यक्ति जिला अदालत में याचिका दायर करता है जो शादी के वक्त नाबालिग था। अगर याचिकाकर्ता नाबालिग है तो याचिका उसके अभिभावक के जरिए दायर की जा सकती है।

- घोष ने कहा कि अगर ऐसा व्यक्ति याचिका दायर करता है जो शादी के वक्त नाबालिग था तो यह उस व्यक्ति के बालिग होने के दो साल के भीतर दायर की जानी चाहिए। घोष ने कहा कि ज्यादातर गिरफ्तारियों में कपल अब वयस्क होंगे और अगर उन्होंने अपनी शादी निरस्त करने क लिए कोई याचिका दायर नहीं की तो सरकार को उनकी निजी जिंदगी में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।

- प्रख्यात विद्वान मनोरमा शर्मा ने कहा कि बाल विवाह बंद होने चाहिए लेकिन यह एक सामाजिक बुरायी है, कानून एवं व्यवस्था की कोई समस्या नहीं है। रिटायर्ड प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और आजीविका के साधनों पर ध्यान देकर इसे खत्म किया जा सकता है, न कि अतीत में हो चुकी किसी घटना में कानून लागू करके। इसे भविष्य में सख्ती से लागू किया जा सकता है।

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- बाल अधिकार कार्यकर्ता एम. दास क्वेह ने कहा कि राज्य सरकार निश्चित तौर पर एक मजबूत संदेश देना चाहती है कि बाल विवाह बंद होने चाहिए लेकिन उसे ऐसी कार्रवाई के बाद होने वाले प्रदर्शनों पर ध्यान देना चाहिए। यूनिवर्सल टीम फॉर सोशल एक्शन एंड हेल्प (उत्साह) के संस्थापक क्वेह ने कहा कि पुलिस जब किसी बाल विवाह को रोकने की कोशिश करती है तो उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ता है। इस मामले में इतने लोगों को गिरफ्तार किया गया तो विरोध तो होना ही था। अभियान की बेहतर तरीके से योजना बनायी जा सकती थी।

- उन्होंने कहा कि बाल विवाह की समस्या को पूरी तरह खत्म करने के लिए एक दीर्घकालीन सतत अभियान की आवश्यकता है। सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत कुछ सीमाएं हैं जिसके तहत एक अदालत किसी अपराधी को दो साल की कैद की सजा सुना सकती है और उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा सकती है।

- क्वेह ने कहा कि कानून के अनुसार अगर लड़की और लड़का दोनों शादी के वक्त नाबालिग थे लेकिन अब बालिग हैं तो उन्हें सजा नहीं दी जाएगी बल्कि उनकी शादी कराने वाले वयस्कों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों से शादी करने वालों के खिलाफ राज्य मंत्रिमंडल के निर्णय के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। साथ ही यह 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों और वयस्कों के बीच यौन कृत्य को अपराध की श्रेणी में डालता है। उन्होंने कहा कि पॉक्सो कानून के तहत किसी वयस्क और एक नाबालिग के बीच कोई भी यौन कृत्य दुष्कर्म है। तस्करी तथा धोखे से शादी के मामलों में ही आपराधिक पहलू पर गौर किया जाएगा।

- असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (ASCPCR) की अध्यक्ष सुनीता चांगकाकोटी ने दावा किया कि राज्य सरकार द्वारा सख्त संदेश दिए जाने के बाद अब लोग कानून पर चर्चा कर रहे हैं जिसकी उनमें से कई लोगों को पहले जानकारी नहीं थी।

- उन्होंने कहा कि लोगों को अब मालूम है कि एक कानून के तहत बाल विवाह दंडनीय है। हमने उन जिलों में जागरूकता अभियान शुरू किए हैं, जहां बाल विवाह के अधिक मामले आते हैं और प्राधिकारियों से समाज में संदेश देने के लिए कुछ मामले दर्ज करने का कहा है।

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First Published: Feb 12, 2023 5:20 PM

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