पेट्रोलियम मंत्रालय (Petroleum Ministry) ने सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी ONGC को देश के सबसे बड़े तेल एवं गैस उत्पादक फील्ड- मुंबई हाई (Mumbai High) और बसई (Bassein) में 60 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी कंपनियों को देने का कहा है। 60 फीसदी हिस्सेदारी के साथ इन तेल एवं गैस उत्पादक क्षेत्रों का ऑपरेशनल कंट्रोल भी विदेशी कंपनियों को देने को कहा गया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोलियम मंत्रालय ने 28 अक्टूबर को इस संदर्भ में ONGC को लेटर लिखा।
यह लेटर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी (एक्सप्लोरेशन) अमर नाथ (Amar Nath) की तरफ से ONGC (ऑयल एवं नैचुरल गैस कॉरपोरेशन) के चेयरमैन और MD सुभाष कुमार को लिखी गई है। लेटर में कहा गया है कि ONGC के नियंत्रण में आने वाले मुंबई हाई और बसई एंड सैटेलाइट (B&S) ऑफशोर संपत्तियों से उत्पादन कम है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को आमंत्रित किया जाना चाहिए और उन्हें 60 प्रतिशत हिस्सेदारी और कामकाज से जुड़े नियंत्रण दिया जाना चाहिए।
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अप्रैल के बाद यह दूसरा मौका है जब अमर नाथ ने आधिकारिक तौर पर ऐसा लेटर लिखा है, जिसमें कंपनी के कमजोर प्रदर्शन के बारे में कहा गया है। वह लंबे समय से ONGC के बोर्ड में सरकार की तरफ से नामित डायरेक्टर है और मैनेजमेंट का हिस्सा हैं। ऐसा समझा जाता है कि अगले साल वह सुभाष कुमार का स्थान ले सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक अमर नाथ ने लेटर में लिखा है कि मुंबई हाई फील्ड से उत्पादन लगातार घट रहा है। रिडेवलपमेंट परियोजनाएं से यह बढ़कर 28 प्रतिशत से 32 प्रतिशत हो जाएगा। हालांकि यह फिर भी काफी कम है। उन्होंने लिखा, "इस फील्ड में घरेलू उत्पादन में योगदान देने की काफी क्षमता है।" साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि फील्ड में पाइपलाइनों और प्लेटफॉर्म जैसे बुनियादी ढांचे पुराने हैं और वहां से रिसाव भी हो रहा है। ऐसे में उसे बदलने या सुधार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, "हालांकि, ONGC के लिए यह चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि उसकी सुधार या विकास से जुड़ीं परियोजनाएं तय समयसीमा से पीछे चल रही हैं। प्रक्रियात्मक पहलू और अन्य बाधाएं कंपनी को तुरंत फैसला लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेंगी।" एडिशन सेक्रेटरी ने लिखा है कि ONGC को अंतरराष्ट्रीय अनुभव रखने वाली कंपनियों को ज्वॉइंट वेंचर के रूप में लाना चाहिए और उन्हें फील्ड में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी और उन्हें चलाने की जिम्मेदारी देना चाहिए।
जबकि बी एंड एस एसेट्स पर परियोजनाएं, जिसमें बेसिन क्षेत्र शामिल है - भारत में सबसे बड़ा गैस उत्पादक क्षेत्र, रिकवरी फैक्टर को मौजूदा 45% से 70% तक बढ़ाने की परिकल्पना करता है। उन्होंने लिखा है, "B&S संपत्ति वाली परियोजनाओं में रिकवरी फैक्टर को मौजूदा 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत तक करने की कल्पना की गई है। ऐसे में ONGइस क्षेत्र से पर्याप्त उत्पादन वृद्धि की योजना बना सकती है और देश में गैस और ऊर्जा से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को मौका उपलब्ध करा सकती है।" बता दें कि B&S संपत्ति में बसई फील्ड शामिल है, जो देश सबसे बड़ा गैस उत्पादक फील्ड है।
उन्होंने लिखा है, "ONGC को अनुभवी अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को आमंत्रित करने पर विचार करना चाहिए और 60 प्रतिशत हिस्सेजारी और ऑपरेशन कंट्रोल सौंपना चाहिए।" मुंबई हाई की खोज 1974 में हुई थी और B&S में उत्पादन 1988 में शुरू हुआ था। ये ओएनजीसी की मुख्य संपत्तियां हैं और इनकी वर्तमान तेल और गैस उत्पादन में दो-तिहाई हिस्सेदारी हैं। उन्होंने ONGC के खुदाई (ड्रिलिंग) और कुओं की सेवाओं से जुड़ी इकाइयों में हिस्सेदारी बेचने की भी बात दोहराई।