Ladakh News: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन बेस कैंप एरिया में हिमस्खलन होने के कारण तीन सैनिकों की जान चली गई। अधिकारियों ने मंगलवार (9 सितंबर) को बताया कि रविवार (7 सितंबर) को 12,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन आधार शिविर क्षेत्र में हिमस्खलन हुआ, जिसमें दो अग्निवीर सहित तीन सैनिक फंस गए। अधिकारियों ने बताया कि तुरंत बचाव अभियान शुरू किया गया और फंसे हुए सैनिकों के शव निकाल लिए गए।
हाल ही में हुई इस त्रासदी ने सियाचिन क्षेत्र में घातक हिमस्खलनों की याद दिला दी है। इससे पहले 2021 में सब-सेक्टर हनीफ में हिमस्खलन हुआ था, जिसमें दो सैनिकों की मौत हो गई थी। इस दौरान खतरनाक परिस्थितियों के बावजूद, छह घंटे के कठिन अभियान के बाद कई अन्य सैनिकों और पोर्टरों को बचा लिया गया था।
वहीं, 2019 में इसी तरह की एक घटना में 18,000 फीट की ऊंचाई पर एक चौकी के पास गश्त कर रहे चार जवानों और दो पोर्टरों की एक शक्तिशाली हिमस्खलन में मौत हो गई थी। इससे पहले 3 फ़रवरी, 2016 को 19,600 फ़ीट की ऊंचाई पर एक विनाशकारी हिमस्खलन हुआ था, जिसमें 10 सैनिक बर्फ़ के नीचे दब गए थे। इनमें लांस नायक हनमनथप्पा कोप्पड़ भी शामिल थे, जो जीवित पाए गए। लेकिन बाद में कई अंगों के काम करना बंद कर देने के कारण उनका निधन हो गया।
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र के रूप में जाना जाने वाला सियाचिन ग्लेशियर अपनी ऊंचाई के कारण अत्यधिक चुनौतियां पेश करता है। दुश्मन के खतरों के अलावा, यहां तैनात सैनिकों को लगातार शीतदंश, ऑक्सीजन की कमी और घातक हिमस्खलन जैसे खतरों का सामना करना पड़ता है। यह ताजा घटना इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की सुरक्षा करते हुए भारतीय सैनिकों के संघर्ष को उजागर करती है।