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आखिर ट्रंप ने पीएम मोदी से मुलाकात के ठीक पहले रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान क्यों किया?

Trump reciprocal tariff: अमेरिकी सरकार ने सोचसमझकर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का वक्त तय किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात से ठीक पहले अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान कर दिया है। इसका मतलब है कि इंडिया अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर जितना टैरिफ लगाता है, उतनी ही टैरिफ अमेरिका इंडियन प्रोडक्ट्स पर लगाएगा

अपडेटेड Feb 14, 2025 पर 2:31 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर में इंडियन प्रोडक्ट्स की सप्लाई बढ़ाने पर फोकस किया है, लेकिन दुनिया के दूसरे देशों के प्रोडक्ट्स के लिए अपने दरवाजे अपनी जरूरत के हिसाब से खोले हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 13 फरवरी को रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्हाइट हाउस में मुलाकात के ठीक पहले ट्रंप ने यह ऐलान किया। इतना ही नहीं, ट्रंप ने इंडिया को ज्यादा टैरिफ वाला देश बताया। उन्होंने इंडिया को टैरिफ में किसी तरह की रियायत देने से भी इनकार कर दिया। सवाल है कि क्या ट्रंप ने सोचसमझकर ऐसा (मोदी से मुलाकात से पहले) किया या यह सिर्फ एक संयोग है?

एक्सपोर्ट बढ़ाने पर मोदी सरकार का फोकस

इंडिया के साथ अमेरिका के रिश्ते बीते 10 सालों में बेहतर हुए हैं। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की कूटनीति का बड़ा हाथ है। पीएम मोदी ने 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही उन्होंने अपनी विदेश नीति की दिशा तय कर दी थी। उनका फोकस वैश्विक मंच पर इंडिया को एक ताकतवर देश के रूप में पेश करने पर है। इसमें मोदी काफी हद तक सफल रहे हैं। दूसरा उन्होंने दुनियाभर के बाजारों में इंडियन प्रोडक्ट्स की मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश की है। उन्होंने डिफेंस सहित ऐसे प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट बढ़ाने पर जोर दिया है, जिनके एक्सपोर्ट पर पहले फोकस नहीं था।


इंडिया ने अपने दरवाजे अपनी जरूरत के हिसाब से खोले हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर में इंडियन प्रोडक्ट्स की सप्लाई बढ़ाने पर फोकस किया है, लेकिन दुनिया के दूसरे देशों के प्रोडक्ट्स के लिए अपने दरवाजे अपनी जरूरत के हिसाब से खोले हैं। खासकर उन्होंने अमेरिका की महंगी कारों और बाइक्स को उस तरह से इंडियन मार्केट में आने की इजाजत नहीं दी है, जिस तरह से अमेरिकी कंपनियां चाहती हैं। टेस्ला और हार्ले डेविडसन इसके उदाहरण हैं। यूनियन बजट 2025 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने महंगी कारों और बाइक्स पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का ऐलान किया। लेकिन, इसके बावजूद इंडिया में महंगी कारों और बाइक्स पर ड्यूटी काफी ज्यादा है।

अमेरिकी कारों और बाइक्स पर इंपोर्ट ड्यूटी काफी ज्यादा

यूनियन बजट 2025 में सीतारमण ने कहा कि 1600 सीसी इंजन क्षमता वाली महंगी बाइक पर अब इपोर्ट ड्यूटी 40 फीसदी होगी। पहले यह 50 फीसदी थी। उन्होंने कहा कि 40,000 डॉलर से ज्यादा कीमत वाली कारों पर अब इंपोर्ट ड्यूटी 70 फीसदी होगी। पहले यह 125 फीसदी थी। साफ है कि इंडिया ने महंगी कारों और बाइक पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाई है। इसके बावजूद यह बहुत ज्यादा है। इतनी ज्यादा इंपोर्ट ड्यूटी होने की वजह से ये गाड़ियां इंडिया में बहुत महंगी हो जाती हैं। इनकी कीमतें ज्यादातर भारतीय ग्राहकों की पहुंच से बाहर हैं। इस वजह से टेस्ला और हार्ले डेविडसन जैसी गाड़ियों की इंडिया में बिक्री काफी कम है।

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अमेरिका अपनी गाड़ियों का निर्यात बढ़ाना चाहता है

इधर, इंडियन कारों और बाइक्स की मांग अमेरिका में बढ़ रही है। इंडिया ने 2023 में अमेरिका को 3.7 करोड़ डॉलर की व्हीकल्स का एक्सपोर्ट किया था। इनमें ह्यूंडई वरेना, किया सोनेट और मारुति सुजुकी की अच्छी हिस्सेदारी थी। इसका मतलब है कि अमेरिकी मार्केट में इंडियन व्हीकल्स की मांग है। इंडियन ऑटो कंपनियां इस मौके का फायदा उठाना चाहती हैं। ऐसे में अमेरिका चाहता है कि इंडिया भी अमेरिकी व्हीकल्स के लिए अपने दरवाजे पूरी तरह से खोल दे। यह तभी होगा जब इंडिया महंगी कारों और बाइक्स के आयात पर टैरिफ घटाएगी। इस वजह से अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ट्रंप की बातचीत से ठीक पहले रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान कर दिया।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Feb 14, 2025 2:10 PM

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