इंडिया में इलेक्शन को अमेरिकी फंडिंग को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पूरे मामले ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद नया मोड़ ले लिया है। ट्रंप ने 20 फरवरी को कहा कि इंडिया में मतदान की संख्या बढ़ाने (वोटर टर्नआउट) के लिए कथित अमेरिकी फंडिंग एक 'किकबैक स्कीम' है। उन्होंने कहा कि इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। वॉशिंगटन में रिपब्लिकन गवर्नर्स एसोसिएशन को अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कई अहम बातें कहीं।
इंडिया में मतदान बढ़ाने के लिए 170 करोड़ रुपये खर्च
ट्रंप ने कहा, "इंडिया में वोटर टर्नआउट के लिए 2.1 करोड़ डॉलर खर्च। हमें इंडिया में चुनाव में मतदान की इतनी चिंता क्यों है? हमारी खुद की ही कई प्रॉब्लम्स हैं। हम अपने देश में टर्नआउट बढ़ाना चाहते हैं। क्या हम सोच सकते हैं कि यह पूरा पैसा इंडिया जा रहा है। मैं इस बात से हैरान हूं कि जब उन्हें यह पैसा मिलता होगा तो वे क्या सोचते होंगे।" ट्रंप के इस बयान ने कई बड़े सवाल पैदा किए हैं। आखिर हजारों किलोमीटर दूर देश में होने वाले चुनाव की इतनी चिंता अमेरिका को क्यों रहती है?
ट्रंप ने अमेरिकी फंडिंग को किकबैक स्कीम कहा
ट्रंप ने कहा, "यह एक किकबैक स्कीम है। यह पैसा उन्हें मिलता है। वे इसे खर्च करते हैं। बाद में वे इस पैसे को उन लोगों को वापस कर देते हैं, जिन्होंने इसे भेजा था। मैं यह बताना चाहता हूं कि ऐसे कई मामलों में आपको यह पता नहीं होता कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं। इसका मतलब है कि यह किकबैक है, क्योंकि किसी को यह पता नहीं होता कि यह क्या हो रहा है।" चूंकि इस अमेरिकी फंडिंग का संबंध पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार से है, जिससे ट्रंप को इस मौके का राजनीतिक फायदा उठाने का मौका मिल गया है। इसकी आड़ में वह पूर्व राष्ट्रपति की सरकार को कठघरे में खड़ा करने का मौका चूकना नहीं चाहते।
इंडिया के इलेक्शन में अमेरिका का हस्तक्षेप
ट्रंप ने 19 फरवरी को इंडिया में चुनाव में अमेरिकी हस्तक्षेप की तरफ भी इशारा किया था। उनका निशाना पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन थे। उन्होंने पूछा था कि आखिर भारत में मतदान की संख्या बढ़ाने के लिए अमेरिका को 2.1 करोड़ डॉलर खर्च करने की जरूरत क्यों है? उन्होंने सवाल किया कि क्या पूर्व अमेरिकी सरकार इंडिया में किसी और पार्टी या गठबंधन को चुनाव में जीत दिलाना चाहती थी। उन्होंने यह संदेह जताया कि यह इंडिया में चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है। सवाल यह भी है कि आखिर अमेरिकी सरकार को इंडिया में चुनाव को प्रभावित करने से क्या फायदा होगा?
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ट्रंप ने जिस किकबैक स्कीम के बारे में बताया है, उसका मतलब ऐसी स्कीम से है जिसमें पहले घूस देकर किसी को काम को कराया जाता है। फिर काम हो जाने के बाद घूस देने वाले को न सिर्फ अपना पैसा वापस मिल जाता है बल्कि उसे खर्च किए पैसे के मुकाबले काफी ज्यादा फायदा होता है। दुनिया में इस तरह की किकबैक स्कीम का इस्तेमाल कई कामों के लिए होता है। लेकिन, अमेरिका जैसे देश में सरकार के इस तरह की किकबैक स्कीम में शामिल होने के आरोप चौंकाने वाले हैं।