2000 Notes : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी का मानना है कि देश में 500 रुपये से बड़े नोटों की कोई जरूरत नहीं है। बता दें कि RBI ने कल यानी शुक्रवार को चौंकाने वाला फैसला लिया। उसने 2000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की। इसे लेकर गांधी ने आज 20 मई को मनीकंट्रोल से कहा, "जिस तरह से डिजिटल लेनदेन बढ़ रहा है, मुझे नहीं लगता कि उच्च मूल्यवर्ग के किसी भी करेंसी नोट की जरूरत है।" गांधी का मानना है कि डिजिटल पेमेंट सिस्टम के बढ़ने और लोवर इन्फ्लेशन का मतलब है कि उच्च मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों की अब और जरूरत नहीं है।
आरबीआई ने कहा है कि लोग 23 मई से लेकर 30 सितंबर तक 2 हजार रुपये के नोटों को अकाउंट में जमा करा सकते हैं या बैंकों में जाकर बदल सकते हैं। आरबीआई की घोषणा के घंटों बाद पूर्व केंद्रीय बैंकर का यह बयान आया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि 2000 रुपये के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे। इस कदम की तुलना नवंबर 2016 में सरकार के नोटबंदी के फैसले से की जा रही है।
2000 रुपये का नोट जारी करना विमुद्रीकरण के खिलाफ : गांधी
बता दें कि साल 2016 में मोदी सरकार ने नोटबंदी के तहत 500-1000 रुपये के नोटों को बैन कर दिया था। इसी समय 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे। गांधी ने साल 2014 से 2017 तक RBI में डिप्टी गवर्नर के रूप में करेंसी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने स्वीकार किया कि 2000 रुपये के नोट की शुरुआत "विमुद्रीकरण के सिद्धांतों के खिलाफ" थी।
गांधी ने बताया, क्यों जारी किए गए थे 2000 रुपये के नोट
आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने आगे कहा, "500 रुपये के नोटों की छपाई में अधिक समय लगता, इसलिए इस फैसले को "शॉर्ट टर्म टैक्टिकल डिसीजन" के रूप में लिया गया था। 2,000 रुपये के नोटों की पहली खेप छपने के बाद, आरबीआई ने और नहीं छापी। साफ था कि आगे चलकर इन नोटों की जरूरत नहीं पड़ेगी।"
उन्होंने कहा, "आरबीआई इन नोटों को बैंकिंग सिस्टम में आने के बाद वापस ले रहा है। उन्हें दोबारा जारी नहीं किया गया। यही वजह है कि इनमें से करीब आधे नोट पहले ही वापस ले लिए गए हैं। इसलिए, यह हैरान होने की बात नहीं है कि शेष नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया गया है।"