टमाटर (Tomato) समेत कई प्रमुख सब्जियों (Vegetables) की कीमतों में हालिया उछाल (Price Hike) ने पूरे भारत में स्तब्ध कर दिया है, क्योंकि देशवासी बढ़ती लागत और गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। देश के कई हिस्सों में कुछ प्रमुख सब्जियों की कीमतें आसमान छूने के साथ, अब अर्थव्यवस्था (Economy) पर इसके संभावित असर को देखना भी काफी अहम हो गया है। पिछले कुछ दिनों से अचानक बढ़े दाम के बाद टमाटर सुर्खियों में है। इतना कि, देश के अलग-अलग हिस्सों से टमाटर चोरी की कई घटनाएं सामने आई हैं और कुछ व्यापारी अब एहतियात के तौर पर CCTV कैमरे तक लगा रहे हैं।
और टमाटर की कीमतों में दिनों दिन उछाल को देखते हुए इन लोगों के पास एहतियाती कदम उठाने का एक ठोस कारण है। ANI की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में टमाटर 250 रुपए प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है।
यहां तक कि दिल्ली, कोलकाता और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में भी कीमतें 150 रुपए प्रति किलोग्राम को पार कर गई हैं, जिससे उपभोक्ताओं पर बोझ और बढ़ गया है। प्रमुख शहरों में, मुंबई में एक किलोग्राम टमाटर की कीमत सबसे ज्यादा देखी गई है, जहां रिटेल कीमत 160 रुपए है।
रिपोर्ट्स की मानें तो टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी का रुझान धीरे-धीरे कम होने से पहले अगस्त के मध्य तक जारी रहने की उम्मीद है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय खरीफ की फसल आने की उम्मीद होती है।
महंगाई की मार केवल टमाटर तक ही सीमित नहीं, कीमतों में उछाल कई दूसरी सब्जियों तक में आया है। फूलगोभी, धनिया, बैंगन, मिर्च और अदरक सभी की कीमतों में पिछले महीने में तेजी से इजाफा देखा गया है।
व्यापारी और किसान इस बेतहाशा बढ़ती कीमत के पीछ कई कारण का हवाला देते हैं। हाल के दिनों में रुक-रुक कर हुई बारिश के बाद भीषण गर्मी ने सब्जी की सप्लाई चेन में रुकावट पैदा कर दी। इस अनियमित सप्लाई ने बाजार में कमी पैदा कर दी है, जिससे कीमतों में तेज उछाल आया है।
इस सब के बीच ये ध्यान देने वाली बात है कि पिछले कुछ महीनों में महंगाई में जबरदस्त गिरावट में रिकॉर्ड-कम सब्जियों की कीमतों ने अहम भूमिका निभाई है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड इन्फ्लेशन मई में 25 महीने के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर पहुंच गई।
हालांकि, भारत भर में सब्जियों की कीमतों में मौजूदा जबरदस्त उछाल से जून के लिए रिटेल महंगाई काफी बढ़ने की आशंका है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले अनियमित मौसम की स्थिति और एल नीनो के असर के कारण महंगाई के बारे में चिंता जताई थी। सब्जियों की कीमतों में अचानक उछाल से महंगाई का दबाव और बढ़ने की आशंका है, जिससे निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की संभावना में देरी हो सकती है।
क्योंकि ग्राहक सब्जियों की बढ़ती कीमतों के बोझ से जूझ रहे हैं, इसलिए व्यापक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर की बारीकी से निगरानी करना बेहद ही जरूरी हो जाता है।
जहां कई ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों ने इस साल भारत को 'सबसे तेजी से बढ़ने वाली' अर्थव्यवस्था होने का समर्थन किया है, तो वहीं महंगाई का लंबा दौर ओवरऑल GDP ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है।
बढ़ती महंगाई से क्रय शक्ति कम हो सकती है, जिसका असर उपभोक्ताओं के खर्च पैटर्न और पूरे आर्थिक विकास पर गंभीर असर हो सकता है।