अगले 6 सालों में 2 गुना तेजी से बढ़ेगी डिजिटल इकोनॉमी, क्लाउड सर्विसेज में अगले 3 साल में 24% ग्रोथ संभव -IT मंत्रालय

वित्त वर्ष 2022-23 में ही 31 लाख 64 हजार करोड़ की डिजिटल इकोनॉमी हो चुकी थी। कुल रोजगार का 2.55 फीसदी अकेले इसी सेक्टर से मिल रहा है। आने वाले दिनों में इसमें और बढ़त होने की संभावना है। अभी तक डिजिटल इकोनॉमी में एक करोड़ 46 लाख लोग रोजगार पा रहे हैं

अपडेटेड Jan 23, 2025 पर 5:47 PM
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डिजिटल क्रांति बैंकिंग बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ावा दे रही है

IT मंत्रालय के मुताबिक भारत की डिजिटल इकोनामी अभी करीब 11.8 फीसदी की दर से बढ़ रही है। यहीं नहीं अगले 5 साल में ये दोगुनी गति से बढ़ेगी। डिजिटल इकोनॉमी पर IT मंत्रालय की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की डिजिटल इकोनॉमी डबल डिजिट में बढ़ रही है। देश की GDP में डिजिटल इकोनॉमी का योगदान 31.64 लाख करोड़ रुपए है। अगले 6 सालों में भारत की डिजिटल इकोनॉमी 2 गुना गति से बढ़ेगी। 2030 तक GDP में डिजिटल इकोनॉमी का 1/5 योगदान होगा।

2029-30 तक डिजिटल इकोनॉमी मैन्युफैक्चरिंग और कृषि से बड़ी हो जाएगी। क्लाउड सर्विसेज में अगले 3 साल में 24 फीसदी ग्रोथ संभव है। 22 जनवरी को जारी इस रिपोर्ट में पहली बार डिजिटल इकोनॉमी में होने वाले वैल्यू एडिशन और रोजगार पैदा करने की क्षमता का आकलन किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की नेशनल इनकम में डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा 2022-23 में 11.74 फीसदी था। ये हिस्सेदारी 2024-25 के अंत तक 13.42 फीसदी हो जाएगी।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में ही 31 लाख 64 हजार करोड़ की डिजिटल इकोनॉमी हो चुकी थी। कुल रोजगार का 2.55 फीसदी अकेले इसी सेक्टर से मिल रहा है। आने वाले दिनों में इसमें और बढ़त होने की संभावना है। अभी तक डिजिटल इकोनॉमी में एक करोड़ 46 लाख लोग रोजगार पा रहे हैं। हालांकि एग्रीकल्चर सेक्टर 45.8 फीसदी और मैनुफैक्चरिंग 11.4 फीसदी रोजगार पैदा करता है। 2029-30 तक डिजिटल इकोनॉमी मैन्युफैक्चरिंग और कृषि से बड़ी हो जाएगी।


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भारत दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल डेटा खपत वाले देशों में से एक है। यहां 2023 में प्रति उपयोगकर्ता प्रति माह औसत खपत 24.1 जीबी रही। डिजिटल क्रांति बैंकिंग बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ावा दे रही है, जिसमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और कर संग्रह दोनों शामिल हैं। इसके चलते ऑनलाइन बाजार उभर रहे हैं और उनकी पहुंच बढ़ रही है।

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