क्रिप्टो करेंसी के साथ-साथ डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) को भी कुछ रेगुलेटरी दायरे में लाने की तैयारी हो रही है। फाइनेंस मिनिस्ट्री, सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) तीनों इस लेकर मंथन कर रही है। इस तरह के निवेश में अनियंत्रित उतार-चढ़ाव और निवेशकों की सुरक्षा की कमी के चलते इन एसेट्स को लेकर लगातार चिंताएं बढ़ रही है।
सरकार की योजना गैर-रेगुलेशन वाले एसेट्स में पारदर्शिता लाने और निवेशकों को लुभाने के लिए कंपनियों की तरफ से बढ़ा-चढ़ाकर किए जाने वाले दावों पर रोक लगाने की है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार डिजिटल गोल्ड को एक सिक्योरिटीज के रूप में कैटेगराइज (वर्गीकृत) करने की योजना पर आगे बढ़ रही है और इसके लिए सेबी एक्ट और सिक्योरीटीज कॉन्ट्रैक्टर रेगुलेशन एक्ट में संशोधन किया जा सकता है। अगले साल फरवरी में आम बजट पेश करते हुए इन संशोधन का ऐलान किया जा सकता है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को क्रिप्टो-एसेट्स पर लॉन्ग-टर्म स्ट्रैटजी तय करने के लिए रेगुलेटर्स के साथ बैठक की। इसके बाद वित्त मामलों की स्थायी समिति ने सोमवार को क्रिप्टो-एसेट्स के सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक की ताकि 'क्रिप्टो फाइनेंस से जुड़े अवसरों और चुनौतियों' पर उनके विचारों का पता लगाया जा सके।
डिजिटल गोल्ड पर रेगुलेशन के प्रस्ताव से पहले सेबी ने बीते सितंबर और अक्टूबर में रजिस्टर्ड ब्रोकर्स और इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स पर रोक लगाई थी कि वे डिजिटल गोल्ड और दूसरे गैर-रेगुलेशन वाले एसेट्स में निवेश से जुड़े प्रोडक्ट्स नहीं ऑफर कर सकते हैं। इसी के बाद अब डिजिटल गोल्ड को रेगुलेट करने का प्रस्ताव आया है।
मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि इस तरह के उत्पादों की पेशकश सेबी एक्ट का उल्लंघन है और ऐसा करने पर आर्थिक दंड लगाया जा सकता है और कुछ मामलों में लाइसेंस भी रद्द हो सकता है।