Rice Export Ban: मानसून की खराब चाल के चलते इस साल भारत में धान की खेती प्रभावित हुई है और धान के रकबे में गिरावट आई है। भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है यानी कि यहां अगर धान की खेती प्रभावित होती है तो इसका असर पूरी दुनिया पर दिख सकता है। नोमुरा ने 30 अगस्त को आशंका जताई है कि इस सत्र में धान के रकबे में गिरावट के चलते भारत चावल का निर्यात रोक सकता है। भारत अगर ऐसा फैसला करता है तो इसके असर का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि वैश्विक चावल निर्यात का करीब 40 फीसदी भारत से होता है। गेहूं का भी उत्पादन इस साल प्रभावित हुआ था जिसके चलते चावल की खपत पर इस बार असर दिख सकता है और आने वाले समय में यह महंगा हो सकता है।
टुकड़ा चावल के निर्यात पर बैन की तैयारी
नोमुरा की मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा (जापान को छोड़कर भारत व एशिया के लिए) का कहना है रूस और यूक्रेन की लड़ाई के चलते मक्के के भाव चढ़ गए। इस वजह से लोगों ने टूटे चावल को पशुओं को चारे के रूप में खिलाना शुरू कर दिया जिसके चलते मीट प्राइस में तेजी आई। अब इस मानसून सत्र में भारत में चावल की उत्पादन कम होने के आसार दिख रहे हैं। नोमुरा ने ब्लूमबर्ग की 26 अगस्त की रिपोर्ट का एक हवाला भी दिया जिसमें सरकार टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है और इसके लिए बातचीत एडवांस्ड स्टेज में पहुंच चुकी है।
गेहूं और आटे के निर्यात पर पहले ही बैन
रूस और यूक्रेन पर लड़ाई के चलते वैश्विक स्तर पर खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़े। इस साल पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में तीखी गर्मी के चलते गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ था जिसके चलते सरकार ने मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दिया। इसके बाद सरकार ने 25 अगस्त को गेहूं के आटे के निर्यात को भी प्रतिबंधित कर दिया।
गेहूं के कम भंडारण के चलते अब महंगा हो सकता है चावल
सरकार के पास अभी चावल का बफर स्टॉक पर्याप्त है। हालांकि किसानों से गेहूं की कम खरीद के चलते अब मुफ्त खाद्य अनाज योजना के तहत चावल का अधिक आवंटन करना होगा। इसके चलते बफर स्टॉक में गिरावट आ सकती है और नोमुरा के मुताबिक आने वाले महीनों में चावल महंगा हो सकता है।
सरकार पीडीएस के तहत गरीबों को सस्ते भाव में अनाज मुहैया कराती है और कोरोना महामारी के बाद से उन्हें मुफ्त में गेहूं और चावल दिया जा रहा है। भारत ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 55 लाख टन गेहूं और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 61 लाख टन गेंहू को चावल से बदल दिया है। इस प्रकार समझ सकते हैं कि आने वाले समय में चावल की घरेलू खपत बढ़ने वाली है।