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अक्टूबर में मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई बढ़ कर 55.3 पर पहुंची, बढ़ती लागत पर भी लगी लगाम

उत्पादकों को उम्मीद है कि आगे आने वाले महीने में इकोनॉमी में मजबूत मांग बनी रहेगी। ऐसे में वे उत्पादन गतिविधियों पर खर्च कर रहे हैं

अपडेटेड Nov 01, 2022 पर 1:09 PM
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अक्टूबर महीने में कंज्यूमर गुड्स के मैन्यूफैक्चरिंग स्तर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस अवधि में कंज्यूमर गुड्स के उत्पादन, बिक्री और एक्सपोर्ट सभी में बढ़त देखने को मिली है

PMI55.1 से बढ़कर 55.3 पर रहा

अक्टूबर महीनें में भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ कुछ गति पकड़ती नजर आई है। कंपनियों की बढ़ती उत्पादन लागत पर भी लगाम लगी है। S&P ग्लोबल के परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स के मुताबिक अक्टूबर में भारत का मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई (PMI) 55.1 से बढ़कर 55.3 पर आ गया है। यह आंकड़े 1 नवंबर को आए हैं। बता दें कि 50 के ऊपर की रीडिंग कारोबारी गतिविधियों में विस्तार का सूचक होती है। वहीं 50 के नीचे की रीडिंग कारोबारी गतिविधियों में सकुंचन का संकेत होती है।

लगातार 16 महीने से भारत की मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 50 के ऊपर


गौरतलब है कि लगातार 16 महीने से भारत का मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 50 के ऊपर बना हुआ है। S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की पॉलीयाना डी लीमा (Pollyanna De Lima) ने कहा है कि अक्टूबर महीने में भारत की मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री में एक बार फिर मजबूती के संकेत देखने को मिले हैं। इस अवधि में फैक्टरी ऑर्डर और प्रोडक्शन में बढ़त देखने को मिली है। उन्होंने आगे कहा कि उत्पादकों को उम्मीद है कि आगे आने वाले महीने में इकोनॉमी में मजबूत मांग बनी रहेगी। ऐसे में वे उत्पादन गतिविधियों पर खर्च कर रहे हैं।

अक्टूबर महीने में फैक्टरी ऑर्डर में भी बढ़त

हेडलाइन पीएमआई नंबर में बढ़ोतरी से आम तौर पर यह संकेत मिलता है कि रोजगार दर और उपभोक्ताओं की खरीद में बढोतरी हो रही है। आज आए इन आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि अक्टूबर महीने में फैक्टरी ऑर्डर में भी बढ़त देखने को मिली है फिर भी यह जून के बाद से यह अपने सबसे कमजोर स्तर पर रहा है।

कंज्यूमर गुड्स के मैन्यूफैक्चरिंग स्तर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी

अक्टूबर महीने में कंज्यूमर गुड्स के मैन्यूफैक्चरिंग स्तर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस अवधि में कंज्यूमर गुड्स के उत्पादन, बिक्री और एक्सपोर्ट सभी में बढ़त देखने को मिली है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी भारत इस साल दुनिया की सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली इकोनॉमी में शामिल होगी। लेकिन इसको ग्लोबल और घरेलू मौद्रिक नीतियों की कड़ाई , वित्तीय बाजार के उतार-चढ़ाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते उत्पन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

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गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है। आरबीआई 3 नवंबर को अपनी एक आउट- ऑफ-टर्न मीटिंग बुलाने जा रहा है जिसमें महंगाई को रोकने की उसकी असफलता पर सरकार को रिपोर्ट भेजने पर विचार किया जाएगा।

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